ताजा खबर : भारत की खुदरा मुद्रास्फीति पिछले छह साल में सबसे निचले स्तर पर, वित्त वर्ष 2024-25 में उल्लेखनीय रूप से 4.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज * प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामेश्वरम में 8,300 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का किया शुभारंभ * संसद का बजट सत्र समाप्त, लगभग 118 और 119 प्रतिशत रही लोकसभा और राज्यसभा की उत्पादकता, दोनों सदनों द्वारा कुल 16 विधेयक हुए पारित

कभी दिलों पर राज करने वाला बॉलीवुड सिनेमा आज क्यों ढूंढ रहा है अपना खोया हुआ जादू? रचनात्मकता की सूख, सितारों की फीकी चमक और दर्शकों से टूटे कनेक्शन की ये कसक कब थमेगी...

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पिछले तीन दशकों में भारत अग्रणी मेडिकल मंडी के रूप में उभरा है। निजी क्षेत्र के हॉस्पिटल और नर्सिंग होम की कुकुरमुत्तई बढ़त ने सुविधाएं तो निश्चित बढ़ाईं हैं, लेकिन अविश्वास और शोषण के लिए भी काफी ख्याति अर्जित की है। पूरे देश में ही स्वास्थ्य सेवाओं का बेड़ा गर्क है। हाल के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए खूब खरी खोटी सुनाई।

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आज के युग में जब पर्यावरणीय चिंताएं बढ़ रही हैं तब इलेक्ट्रिक वाहनों का विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। लेकिन, इलेक्ट्रिक वाहनों में स्थापित बैटरी की सीमाएं अभी भी एक बड़ी चुनौती हैं। क्या हम 'स्टेपनी बैटरी' के रूप में एक नई व्यवस्था नहीं बना सकते। इससे इलेक्ट्रिक वाहन सभी के लिए आकर्षक और प्राथमिकता बन सकेंगे? कल्पना कीजिए, जब इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी खत्म हो जाए, तो चालक आसानी से एक ताजा, पूर्ण चार्ज बैटरी लगा सके। यह व्यवस्था न केवल यात्रा के अनुभव को सुगम बनाएगी, बल्कि इसे ज्यादा सुविधाजनक और आकर्षक भी बनाएगी।

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परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है। लेकिन, देश की सत्ता पर आसीन दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा पिछले करीब 11 साल से एक ही ढर्रे पर चल रही है। कम से कम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अब एक बड़े परिवर्तन की दरकार है...

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भारत की व्यावसायिक परंपरा कोई आधुनिक आविष्कार नहीं है, बल्कि सदियों पुरानी एक जीवंत सभ्यता और सुस्थापित परंपरा है। यह स्थिरता, अडिग सामाजिक जिम्मेदारी और उच्च नैतिक मूल्यों की मजबूत नींव पर टिकी है। हमारे देश में व्यापार को कभी भी केवल लाभ कमाने का संकीर्ण साधन नहीं माना गया, बल्कि इसे एक व्यापक सामाजिक प्रतिबद्धता के रूप में देखा गया।

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भारतीय मीडिया की वर्तमान स्थिति बेहद रोचक है और चिंताजनक भी। यह एक ऐसा समय है जब मीडिया अपने मौलिक लक्ष्यों से भटका हुआ प्रतीत होता है। माना जा रहा है कि मुख्यधारा मीडिया पश्चिमी संस्कृति से पोषित और प्रेरित होता हुआ आम भारतीयों से कटता जा रहा है। साथ ही, निम्न-गुणवत्ता, उपभोक्तावादी और अश्लील सामग्री को बढ़ावा दे रहा है।

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जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नागपुर में आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया, तो क्या उन्होंने सितंबर में 75 वर्ष की आयु के बाद पद छोड़ने का फैसला करने पर उत्तराधिकार योजना पर चर्चा की? मोदी के बाद कौन? यह सवाल कई राज्यों की राजधानियों के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां तक ​​कि विपक्ष भी किसी बड़े बदलाव का इंतजार कर रहा है...

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कल्पना कीजिए कि आप खिड़की के पास रामेश्वरम-तांबरम की नई रेल सेवा में बैठे हैं। नमकीन हवा आपके चेहरे को छू रही है, और आप केवल समुद्र का अंतहीन विस्तार देख रहे हैं। जैसे ही लहरें आपको मदहोशी में ले जाने लगती हैं, एक आश्चर्यजनक स्टील संरचना दिखाई देती है, जैसा कि आप फिल्मों में देखते हैं। यह है नया पम्बन ब्रिज, और यह भारत द्वारा पहले कभी बनाए गए किसी भी पुल से अलग है।

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एक समय था जब गांवों की शांत सुबह से लेकर शहरों की शोरगुलभरी चहल-पहल तक, गौरैया हवाओं को अपनी खुशनुमा चहचहाहट से भर देती थीं। इन नन्हें पक्षियों के झुंड, बिन बुलाए मेहमान होने के बावजूद स्वागतयोग्य व अविस्मरणीय यादें बनाते थे। लेकिन, समय के साथ, ये नन्हीं दोस्त हमारी जिंदगी से गायब हो गई हैं। कभी बहुतायत में पाई जाने वाली घरेलू गौरैया अब कई जगहों पर एक दुर्लभ दृश्य और रहस्य बन गई है।

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पिछले दिनों, वृंदावन में भू-माफियायों द्वारा सैकड़ों पेड़ बेरहमी से काटे जाने के बाद, समूचे बृज क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की जा रही है।

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पिछले माह केंद्रीय स्वास्थ मंत्री जेपी नड्डा ने राज्य सभा में आशा वालंटियर्स के महत्वपूर्ण योगदान को सराहते हुए वायदा किया था कि उनका मंत्रालय वेतन सुधार की मांगों पर विचार करेगा और ज्यादा सहूलियतें…

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Vrindavan, Agra, Hyderabad, and Mysore are in the news these days because of the mass slaughter of full-grown trees. Our cities, once vibrant mosaics of biodiversity and cultural reverence for nature,…

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यूरोप, एक ऐसा महाद्वीप जो कभी मांसाहारी परंपराओं का गढ़ था। लेकिन, अब यह महाद्वीप एक अनूठे बदलाव की ओर बढ़ रहा है। पिछले कुछ सालों में, शाकाहारी जीवनशैली न केवल सेहत के लिए वरदान साबित हो रही है, बल्कि…

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