ताजा खबर : बिहार चुनाव के पहले चरण में ऐतिहासिक 64.66 प्रतिशत मतदान * अक्टूबर में तेजी से बढ़ा जीएसटी राजस्व, कुल संग्रहण ₹1,95,936 करोड़ हुआ * बिहार चुनावों में अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक जब्त

भारत की राजनीति में विचारधाराएं अब जाति के आगे नतमस्तक हैं। कम्युनिस्ट आंदोलन इतिहास बन चुके हैं, राष्ट्रवाद थका हुआ दिखता है, और धर्म की अफीम भी जातीय दीवारों को ढहाने में असमर्थ रही है। जाति अब भारतीय समाज की आत्मा में गहराई तक समा चुकी है...

Read More

यदि हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं तो जीवन की चुनौतियों से निपटना और जीवन को पूरी तरह से जीना अधिक बेहतर तरीके से संभव है।

Read More

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग और शिवालय तीर्थ महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में एलागंगा नदी और एलोरा गुफाओं के नज़दीक स्थित है। शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह आखिरी ज्योतिर्लिंग है। यहां की यात्रा शिवालय तीर्थ, ज्योतिर्लिंग और लक्ष्य विनायक गणेश के दर्शन से पूर्ण होती है। ये सभी तीर्थस्थल 500 मीटर के दायरे में स्थित हैं। बाहर से देखने पर घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सामान्य मंदिरों की भांति ही दिखाई देता है, लेकिन अंदर जाकर देखने से इसकी महत्ता और भव्यता स्पष्ट होती है। इस क्षेत्र में कई अन्य धर्मावलम्बियों के भी पवित्र स्थान हैं।

Read More

साल 1950 में संविधान सभा ने ‘वंदे मातरम्’ को भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया। शुरू में ‘वंदे मातरम्’ की रचना स्वतंत्र रूप से की गई थी और बाद में इसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के 1882 में प्रकाशित उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया गया...

Read More

बहुत पुरानी बात है, जब मोबाइल नहीं, पर मुंह बहुत चला करते थे। आगरा में मुगल बादशाह के जागीरदार का एक गांव था टेढ़ी बगिया के पास, ‘ठुमकपुर’। वहां की सबसे नामी ठुमकिया थी, चंपा देवी झटकनिया। नाम ऐसा कि सुनते ही पायल खुद बज उठे, पर असलियत कुछ और ही थी...

Read More

भारत में कुल 2,827 राजनीतिक पार्टियां पंजीकृत हैं, जिनमें छह राष्ट्रीय, 58 राज्य, और 2,763 गैर-मान्यता प्राप्त दल शामिल हैं। यह आंकड़ा चुनाव आयोग की 23 मार्च 2024 की रिपोर्ट का है। इस साल जनवरी में जनसेना को राज्य पार्टी का दर्जा मिलने के बाद इस सूची में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। इतनी पार्टियों के बावजूद सवाल वही है, लोकतंत्र की शुचिता बार-बार क्यों लांछित होती है...

Read More

एक ज़माना था जब विश्वविद्यालयों के कैंपस गूंज उठते थे—"इंकलाब जिंदाबाद!", "हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के!" के नारों से। विश्वविद्यालयों की दीवारें सिर्फ पत्थर नहीं, विचारों की आग से लाल होती थीं। बीएचयू, इलाहाबाद, दिल्ली, लखनऊ—हर कैंपस में बहसें होती थीं, छात्र नेताओं के भाषणों में आग होती थी। आज? सन्नाटा। सिर्फ फुसफुसाहटें। क्या हमारा लोकतंत्र सो गया है?

Read More

एक सड़क बता दो, जहां इत्मीनान से, बिना कुचले जाने के खौफ के, आप साइकिल की सवारी कर सकते हैं। यूरोप के तमाम शहरों में आज भी ज्यादातर लोग साइकिल की सवारी करते हैं!

Read More

कुल 140 करोड़ भारतीयों में से कितने लोग बड़ी कारें या फैंसी मोबाईक खरीद सकते हैं? खरीद भी लें किश्तों पर, तो भी पेट्रोल कौन सा मुफ्त मिल रहा है! हकीकत यह है कि एक बड़ी संख्या में लोग आज भी सड़कों पर, शहर हो या देहात, पैदल ही चल रहे हैं या साइकिलों पर ही निर्भर हैं। लेकिन, इस बड़े समूह के हितों की रक्षा के लिए कभी कोई आवाज नहीं उठती...

Read More

फर्ज़ी डायबिटीज़ इलाज से लेकर सियासी रिश्वतों तक, हनी ट्रैप से लेकर क्रिप्टो ठगी तक, आज का भारत एक धोखाधड़ी के मेले में बदल चुका है, जहां ईमान की जगह चालाकी फल-फूल रही है। हर क्लिक के पीछे कोई जाल है, हर वादा एक फ़रेब।

Read More



Mediabharti

Latest On Apunkacareer.com

As companies invest heavily in generative AI, managers continue to hold back valuable insights, which slows innovation and undermines collaboration, new research from ESSEC Business School reveals.…

Read More

Latest On Mediabharti.com

“Agra to Noida, just one and a half hours. Noida to the airport, two more. In 1972, the whole Agra-Delhi trip took four to five hours. Forty years later, with expressways, toll booths, and navigation…

Read More

Latest On Kadahi.com

Scientists have discovered a simple yet effective method for detecting toxic molecules at incredibly low concentrations by exploiting the same phenomenon that causes coffee stains.

Read More