आगरा में स्थानीय व्यापार मंडलों और उद्योगपतियों ने शहर को भारत के 12 ग्रीन फील्ड औद्योगिक शहरों में से एक के रूप में नामित करने के हाल ही में सरकार के फैसले का स्वागत किया है। वे इसे एक सकारात्मक पहल के रूप में देखते हैं, जो औद्योगिक क्षेत्र को लाभान्वित करेगा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि करेगा।
यमुना एक्सप्रेसवे के साथ रणनीतिक रूप से स्थित, आगरा एक स्मार्ट औद्योगिक शहर में बदलने की राह पर है, जो विकास और उन्नति के लिए आशाजनक मार्ग उपलब्ध कराता है। नोएडा, दिल्ली, जेवर एयरपोर्ट व गुरुग्राम जैसे प्रमुख क्षेत्रों और लखनऊ एक्सप्रेसवे और रिंग रोड जैसी आगामी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के करीब होने के कारण आगरा संभावित आईटी और रक्षा गलियारों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित हो सकता है। आखिरकार, वर्षों की दृढ़ता के बाद, आगरा एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर पर पहुंच गया है।
ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंधात्मक निर्देशों से नुकसान उठाने के बाद, आगरा अब 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैले इको-सेंसिटिव ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन में सभी प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद करने के शीर्ष न्यायालय के 1993 के आदेश के बाद से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए राह देख रहा है।
आगरा, जो कभी एक संपन्न औद्योगिक केंद्र था, आज एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। ध्यान रहे, प्रदूषण के खिलाफ छिड़ी जंग में अनेक छोटे और मध्यम उद्योगों को बंद करने या स्थानांतरित करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। शेष इकाइयों को विभिन्न बाधाओं और प्रदूषण संबंधी प्रतिबंधों के कारण अपनी उत्तरजीविता के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। पर्यटन उद्योग भी प्रतिबंधात्मक उपायों और कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे विदेशी पर्यटकों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है।
चमड़े के जूते, दालें, खाद्य तेल और जेनरेटर निर्माण सहित विभिन्न उद्योग ढहने के कगार पर हैं। लोहे की ढलाई, जो कभी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र था, अब प्रतिस्पर्धा करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
उद्योग संघों द्वारा समाधान खोजने के प्रयासों के बावजूद, सरकार का ध्यान पर्यटन पर रहा, जो आबादी के केवल एक हिस्से को रोजगार देता है। बीते वर्षों में समय-समय पर स्थानीय नेतृत्व और उद्योगपतियों ने शिकायत की कि आगरा में औद्योगिक ढांचे को व्यापक बनाने के लिए स्पष्ट नीतिगत ढांचे और दूरदर्शिता का अभाव है, जिसके कारण पेठा, लौह ढलाई, कांच, हस्तशिल्प और जूता निर्माण जैसे पारंपरिक उद्योगों की तरक्की में गिरावट आई है।
कुशल कारीगरों और श्रमिकों के अभाव में भ्रमित सरकारी नीतियों के साथ मिलकर इन उद्योगों में गिरावट आई। रोजगार के साधन उपलब्ध न होने की वजह से एक वर्ग अपराध उद्योग की तरफ उन्मुख हुआ, जो युवा ज्यादा पढ़-लिख गए, वे शहर छोड़कर अन्य बड़े शहरों की तरफ कूच कर गए। एक फलता-फूलता जीवंत शहर निराशा की धुंध में सिमट गया। मौजूदा योगी सरकार का भी आगरा से कभी कोई विशेष लगाव नहीं दिखा। अब जबकि केंद्र ने आगरा का नए डेवलपमेंट हब के रूप में चयन किया है तो राज्य सरकार को इस अवसर का लाभ उठाकर विकास की गति को नई दिशा देनी चाहिए।
शहरवासियों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार द्वारा आगरा का चयन विकास की एक नई सुबह की शुरुआत करेगा और रोजगार के नए रास्ते खोलेगा।
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