स्तन कैंसर के इलाज में ‘एंटीडिप्रेसेंट’ का हो सकता है उपयोग

एक नए शोध के अनुसार, स्तन कैंसर के इलाज के लिए एक सस्ता समाधान प्रदान करने को एक अवसादरोधी दवा का उपयोग किया जा सकता है।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले गुवाहटी स्थित स्वायतशासी निकाय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान के डा. असिस बाला और उनकी टीम कैंसर प्रबंधन की बेहतर चिकित्सा रणनीति विकसित करने के लिए दवा पुनर्प्रयोजन के इस क्षेत्र में काम करती आ रही है।

Read in English: Antidepressant drug can be repurposed for treating breast cancer

शोधकर्ताओं के इस समूह ने यह दर्शाया है कि मोनोमाइन आक्सीडेज अवरोधक नामक औषधियों के वर्ग की एक अवसादरोधी दवा सेलेजिलिन यानी एल- डिप्रेनिल का उपयोग स्तन कैंसर में कैंसररोधी चिकित्सा के रूप में किया जा सकता है।

एकीकृत नेटवर्क औषधीय अध्ययनों में पाया गया है कि सेलेजिलीन परस्पर दस जीन के साथ क्रिया करते है जो कि महत्वपर्णू संख्या में नोड के साथ विभिन्न प्रकार के कैंसर से जटिल रूप से जुड़े हुए हैं। अध्ययन में छह कैंसर कोशिका रेखाओं में सेलेजिलीन की प्रभावकारिता का प्रारम्भिक तुलनात्मक मूल्यांकन किया गया। सेलेजिलीन को एस्ट्रोजेन और प्रोगेस्ट्रोन- पाजिटिव के साथ-साथ तिहरे-नकारात्मक स्तन कैंसर को मारने में प्रभावी पाया गया।

यह स्तन कैंसर कोशिकाओं में एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से कोशिका मृत्यू को प्रेरित कर सकता जो कि प्रतिक्रियात्मक आक्सीजन प्रकारों पर निर्भर नहीं है। इसके अलावा, यह स्तन कैंसर कोशिकाओं में प्रोटीन किनेज सी फोस्फोरिलेशन की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करता है, जो यह बताती है कि यह प्रक्रिया सेलेजिलीन के कारण होने वाली कोशिका मृत्यू में शामिल हो सकती है।

जर्नल ‘मेडिकल ऑन्कोलॉजी’ में प्रकाशित हाल के इस अध्ययन से जैवचिकित्सा वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में आगे और खोज करने में मदद मिल सकती है। यह अपनी तरह का पहला शोध है और कैंसर खोज के क्षेत्र में यह बहुत महत्व रखता है।

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