बृज भूमि, खास तौर पर गोवर्धन और वृंदावन में हरियाली की भयावह गिरावट एक दुखद विडंबना को दर्शाती है। कभी हरे-भरे जंगलों, मैंग्रूव, पवित्र तालाबों और यमुना के शांत घाटों की जीवंत तासीर वाला यह क्षेत्र अब तेजी से हो रहे शहरीकरण की खूंखार पकड़ का शिकार हो रहा है। कृष्ण की बांसुरी की गूंज कंक्रीट की संरचनाओं के बढ़ने और पवित्र भूमि के निरंतर विकास के कारण, अब सुनाई नहीं देती है...
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