प्यारे बापू ने उन्हें ‘राष्ट्ररत्न’ कहा तो यह उनकी 'पदवी' ही हो गई। महामना मालवीय के प्रति उनकी अपार श्रद्धा थी। मालवीय को वह ‘पिता’ कहते थे। बाबू शिव प्रसाद गुप्त सचमुच विरले ही व्यक्तित्व थे। रईसी कितनी उदात्त, सरोकार संपन्न और परोपकारी हो सकती है, यह उनके संपूर्ण व्यक्तित्व और अवदान में देखा जा सकता है।
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