साहित्य / मीडिया

कभी अख़बार का संपादक एक संस्था हुआ करता था। उसकी एक पंक्ति से सत्ता की नींव हिल जाया करती थी। लेकिन, आज हालात इतने बदल गए हैं कि अगर पाठकों से पूछा जाए, तो उन्हें अपने पसंदीदा अख़बार के संपादक का नाम तक नहीं मालूम। पत्रकारिता के मूल्यों का सूरज ढल रहा है और उसकी जगह पर बाजारू दबावों का अंधेरा छा गया है। खबर अब महज़ एक उत्पाद है, जिसकी बिक्री और टीआरपी ही सब कुछ तय करती है...

Read More

बात 2011 गर्मियों की है। बेंगलुरु के एक दैनिक अखबार में पढ़ा कि मैसूर से प्रकाशित विश्व का एकमात्र संस्कृत दैनिक समाचारपत्र, आर्थिक हालत खस्ता होने से बंदी के कगार पर था। जिज्ञासा हुई कि इस मृतप्राय: भाषा में कोई अखबार निकालने की कैसे जुर्रत कर सकता है।

Read More

पिछले दो महीनों से कर्नाटक दहशतख़ेज़ ख़बरों से घिरा रहा है। एक ‘व्हिसलब्लोअर’ ने आरोप लगाया कि सैकड़ों महिलाओं और लड़कियों का रेप करके उनकी हत्या की गई और उनकी लाशें श्री मंजूनाथ मन्दिर, धर्मस्थल के आसपास छुपा दी गईं। यह आरोप धमाकेदार था: धर्मस्थल जैसा पवित्र स्थान, छुपे हुए अपराधों की क़ब्रगाह बना दिया गया...

Read More

अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर अत्यधिक टैरिफ लगा दिए हैं और रूस से ऊर्जा खरीद पर रोक लगाने की धमकी दी है। ऐसे में, भारत को मजबूती से जवाब देना चाहिए। एक बड़ा कदम हो सकता है, अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनियों जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, गूगल, यूट्यूब पर रोक लगाकर अपनी डिजिटल आजादी सुनिश्चित करना।

Read More

एक तरफ पश्चिमी मीडिया में चीन का दबदबा है। चीनी लोग अमेरिका के कई प्रमुख अखबारों के प्रबंधकीय बोर्ड में निदेशक हैं। वे लॉबी और जन संचार कंपनियों पर मोटा खर्च करके सरकारों पर दबाव बनाते हैं। उधर, भारत की कहानी पर सवालिया निशान लग रहे हैं। कहने को अमेरिकी प्रशासन में तमाम भारतीय मूलवंशी हैं, लेकिन रुतबा जीरो है। पश्चिमी मीडिया के लोग, जर्मनी से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक, भारतीय कथ्य को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वक्त पर कोई साथ नहीं दे रहा है। कहां चूक हो रही है? कैसे विश्व गुरु हैं हम?

Read More

दो मोर्चों पर लड़ना किसी भी देश के लिए चुनौती बन सकती है। आधुनिक सूचना तंत्र के महारथी, फौज के जवानों का मनोबल प्रभावित कर सकते हैं और सिद्धांतों की बलि भी दे सकते हैं। झूठी, अधपकी जानकारियां तनाव बढ़ा सकती हैं। साइबर सेना सामान्य समय में भी एक बड़ा खतरा बनी हुई हैं।

Read More



Mediabharti