सिनेमा का सार न केवल उसके समकालीन आकर्षण में है, बल्कि उसके गौरवशाली अतीत के संरक्षण और उत्सव में भी निहित है। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, यानी इफ्फी-2023 में राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन के तहत राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम व भारतीय राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय के प्रयासों से क्षतिग्रस्त सेल्युलाइड रीलों में नई जान फूंककर उनकी भव्यता को वापस लाते हुए सात भारतीय क्लासिक फिल्मों को विश्व प्रीमियर में शामिल किया गया है।
इन उत्कृष्ट खजानों में देबाकी बोस द्वारा निर्देशित फिल्म ‘विद्यापति’ (1937) शामिल है, जो कि एक उत्कृष्ट बंगाली कृति है और इसका सावधानीपूर्वक कायाकल्प किया गया है। इसी श्रृंखला में पीके अत्रे की ‘श्यामची आई’ (1953) मराठी सिनेमा की समृद्ध विरासत की मार्मिक याद दिलाती है।
Read in English: The work of preserving the glorious past of cinema continues…
केवी रेड्डी द्वारा निर्देशित तेलुगू क्लासिक ‘पाताल भैरवी’ (1951) ने भारतीय सिनेमा के एक युग को परिभाषित करने वाली भव्यता और कहानी कहने की क्षमता का प्रदर्शन करते हुए एक शानदार वापसी की है। इफ्फी-2023 के पुनर्स्थापित क्लासिक फिल्मों के खंड में मृणाल सेन की ‘कोरस’ (1974) और बीरेन नाग की ‘बीस साल बाद’ (1962) की भी उपस्थिति है। इन दोनों फिल्मों ने क्रमशः बंगाली और हिंदी सिनेमा की सांस्कृतिक एवं कलात्मक विरासत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विजय आनंद की ‘गाइड’ (1965) और चेतन आनंद की ‘हकीकत’ (1964), दोनों ही हिंदी क्लासिक फिल्मों का समावेश उस सिनेमाई प्रतिभा का उत्सव है जिसने भारतीय दर्शकों पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
इन सर्वोतम भारतीय कृतियों के अलावा, तीन अंतरराष्ट्रीय फिल्मों की पुनर्स्थापना भी की गई है। वेनिस की अतुलनीय कृति ‘द एक्सोरसिस्ट’ एक नए सिनेमाई अनुभव का वादा करती है, जबकि सर्गेई परजानोव की ‘शैडोज ऑफ फॉरगॉटन एंसेस्टर्स’ और ग्योर्गी फेहर की ‘ट्वाइलाइट’ अंतरराष्ट्रीय दायरे के पुनर्स्थापित सिनेमाई खजाने की एक झलक पेश करती हैं।
इफ्फी-2023 में पुनर्स्थापित क्लासिक फिल्मों का खंड अतीत और वर्तमान के बीच एक सेतु का प्रतीक है। यह सिनेप्रेमियों को सिनेमाई दिग्गजों के पुनर्जन्म का आनंद लेने के लिए आमंत्रित कर रहा है। यह लगन, कलात्मकता और कहानी कहने के स्थायी आकर्षण का उत्सव है, जो हमें इस तथ्य की याद दिलाता है कि भले ही समय बीत जाए, लेकिन सिनेमा का जादू शाश्वत बना रहता है।
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