भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार कहा गया है कि पौराणिक कुरुक्षेत्र युद्ध यानी महाभारत के युद्ध में गांधारी के सभी सौ पुत्रों की मृत्यु हो गई थी।
प्रचलित कथा के अनुसार, युद्ध के बाद श्रीकृष्ण कौरवों की माता गांधारी के पास संवेदना व्यक्त करने के लिए गए थे। गांधारी ने कृष्ण पर आरोप लगाते हुए कहा कि कृष्ण ने जानबूझकर युद्ध को समाप्त नहीं होने दिया। गांधारी ने आरोप लगाया कि यदि श्रीकृष्ण चाहते तो अवश्य ही युद्ध रोका जा सकता था और कौरवों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता था। क्रोध और दुःख में गांधारी ने उन्हें शाप दे दिया कि उनके अपने यदु राजवंश में हर व्यक्ति उनके साथ ही नष्ट हो जाएगा।
महाभारत के अनुसार, यादवों के बीच एक त्यौहार के आयोजन के दौरान एक लड़ाई शुरू हो गई। इस लड़ाई में सब ने आपस में ही एकदूसरे की हत्या कर दी। इसी दौरान, एक पेड़ के नीचे सो रहे श्रीकृष्ण को एक हिरण समझकर, जरा नामक शिकारी ने तीर मार दिया जो उन्हें घातक रूप से घायल कर गया। कृष्ण ने जरा को क्षमा करते हुए और इसे विधि का विधान मानते हुए अपनी देह को त्याग दिया।
कहा जाता है कि आज के गुजरात में भालका ही वह स्थान है, जहां कृष्ण की मृत्यु हुई।
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