करदाताओं के लिए अंतरिम बजट में क्या है खास...?

अंतरिम बजट में कराधान के संबंध में कोई विशेष परिवर्तन तो नहीं किया गया है लेकिन, कराधान में लगातार निरंतरता उपलब्‍ध कराने के लिए स्‍टार्टअप और सॉवरेन वेल्‍थ या पेशंन फंड द्वारा किए गए निवेशों के लिए कुछ विशेष कर लाभों तथा कुछ आईएफसी यूनिटों की कतिपय आय पर छूट की समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है। आयात शुल्‍क सहित प्रत्‍यक्ष करों और अप्रत्‍यक्ष करों की दरें यथावत रखी गई हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने करदाता सेवाओं को बेहतर बनाने की घोषणा की है जो ‘ईज ऑफ लिविंग’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बेहतर बनाने के लिए सरकार के कर विजन के अनुरूप हैं। बड़ी संख्‍या में छोटी-छोटी, गैर-सत्‍यापित, गैर समायोजित या विवादित प्रत्‍यक्ष कर मांग हैं, जो बहीखातों में लगातार लंबित हैं। इनमें से कई मांगें तो वर्ष 1962 से भी लंबे समय से मौजूद हैं। इनसे ईमानदार करदाताओं को परेशानी होती है और इनसे बाद के वर्षों में रिफंड जारी करने की प्रक्रिया में भी बाधा उत्‍पन्‍न होती है।

Read in English: What is there for taxpayers in this Interim Budget...!

अंतरिम बजट में 2009-10 तक की अवधि से संबंधित 25000 हजार रुपये तक तथा वित्‍तीय वर्ष 2011 से 2014-15 तक से संबंधित 10000 रुपये तक की ऐसी बकाया प्रत्‍यक्ष कर मांगों को वापस लेने का प्रस्‍ताव किया गया है। इससे लगभग एक करोड़ करदाताओं के लाभान्वित होने की उम्‍मीद है।

अपने अंतरिम बजट भाषण में सीतारमण ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रत्‍यक्ष कर संग्रहण तीन गुणा से अधिक हुआ है और रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्‍या 2.4 गुणा बढ़ी है। उन्‍होंने इस तथ्‍य पर भी प्रकाश डाला कि सरकार ने कर दरों में कटौती की है और उन्‍हें विवेकपूर्ण बनाया है, जिसके कारण नई कर योजना के तहत अब सात लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं के लिए कोई कर देनदारी नहीं है। उन्‍होंने यह भी उल्‍लेख किया कि खुदरा व्‍यापारियों के साथ-साथ पेशेवरों के लिए पूर्वानुमान कराधान की सीमा बढ़ाई गई है।

सीतारमण ने कहा कि मौजूदा स्‍वदेशी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर दरों को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत तथा कुछ नई विनिर्माण कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कर दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में सरकार का फोकस बेहतर करदाता सेवाओं पर रहा है, जिसने सदियों पुरानी क्षेत्राधिकार आधारित निर्धारण प्रणाली को बदल दिया है और आयकर विवरणियों को दाखिल करना बहुत आसान और सरल बना दिया है। आयकर रिटर्न का औसत प्रोसेसिंग समय जो वर्ष 2013-14 में 93 दिन था अब घटकर इस वर्ष केवल 10 दिन रह गया है। इस प्रकार रिफंड जारी करने में तेजी आई है।

अप्रत्‍यक्ष करों के बारे में सीतारमण ने कहा कि जीएसटी ने भारत में बहुत बंटी हुई अप्रत्‍यक्ष व्‍यवस्‍था को एकीकृत करके उद्योग और व्‍यापार पर अनुपालन बोझ कम किया है। एक अग्रणी परामर्शदाता फर्म द्वारा अभी हाल में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार यह बताया गया है कि 94 प्रतिशत उद्योग प्रमुख जीएसटी में हुए परिवर्तन को व्‍यापक रूप से सकारात्‍मक मानते हैं।

अपने भाषण में सीतारमण ने इस तथ्‍य पर प्रकाश डाला कि जीएसटी का कराधान बढ़कर दोगुने से अधिक हो गया है और औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रहण इस वर्ष लगभग दोगुणा बढ़कर 1.66 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इससे राज्‍यों को भी लाभ मिला है। राज्‍यों को जारी किए गए मुआवजे सहित राज्‍यों के एसजीएसटी राजस्‍व का तेज उछाल वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक जीएसटी के बाद की अवधि में 1.22 रहा है। उन्‍होंने कहा कि इसके सबसे बड़े लाभार्थी उपभोक्‍ता हैं क्‍योंकि लॉजिस्टिक लागत और करों में कटौती से अधिकांश वस्‍तुओं और सेवाओं के मूल्‍यों में कमी आई है।

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