होली के दिन ऐसे करें अपने घर में पूजा पाठ...

होली का त्योहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यहां हम आपको इस दिन की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं।

दोपहर को किए जाने वाले पूजन के लिए एक थाली में एक पानी से भरा बरतन, कच्चा सूत, हल्दी, चावल, आटा, गुड़, दाल, घी, आठ पूड़ी, हलवा, दीपक, गूलरियों की माला, रुपया, नमक और आटे की छोटी पूड़ी बेलकर उसमें गुड़ भरकर बनाई गई गुजिया रखते हैं। होली पूजन के बाद खाना खाते हैं।

शाम को घर में होलिका दहन की तैयारी करते हैं। इसके लिए आंगन में चार ईंटें लगाकर एक लोहे की चादर पर ढक्कन रखकर उसके ऊपर मिटटी बिछाकर आटे व गुलाल से चौक बनाकर, उसके ऊपर गूलरियों की माला लगाते जाते हैं। सबसे पहले बड़ी, फिर उससे छोटी और फिर उससे छोटी माला, इसी तरह लगाते चलते हैं। ऊपर से गोबर से बना टोप पहना देते हैं।

घर में जितने सदस्य हों उतनी जौ की वालियों से छोटी गड्डियां बना लेते हैं। चौराहे पर रखी होली को पूजकर उसी की आग से अपने घर की होली में दहन करते हैं। जौ की बालो को भूनते हैं। होली के गाते हैं। सभी बड़ों के पैर छूते हैं।

दूसरे दिन, सुबह धूल यानी रंगोत्सव का आयोजन होता है। सब लोग रंगों से होली खेलते हैं। ठंडाई बनती है। खाने में दही व सोंठ की गुंजिया, पकोड़े, पूड़ी, कचौड़ी, सब्जी, रायता आदि बनाए जाते हैं।

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