मेट्रो प्रणाली ने भारत में यात्रा को परिवर्तनकारी अनुभव बना दिया है। 11 राज्यों और 23 शहरों में 1,000 किलोमीटर से ज़्यादा की दूरी तय करने वाली मेट्रो प्रणाली पर लाखों लोग तेज़, आसान और किफ़ायती यात्रा के लिए भरोसा करते हैं। इस वृद्धि के साथ, भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बन गया है। मेट्रो सिर्फ़ घूमने-फिरने का ज़रिया नहीं है - यह शहरों में हमारे रहने और आने-जाने का तरीका बदल रही है।
मेट्रो प्रणाली अब लंबी दूरी तय करती है और प्रतिदिन एक करोड़ से अधिक यात्रियों को सेवा प्रदान करती है। इस वृद्धि के साथ, भारत साल 2022 में पहले जापान से आगे निकला और अब वर्तमान में, भारत परिचालन मेट्रो नेटवर्क की लंबाई में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बनने की राह पर है।
Read in English: Over 1,000 kms of Metro is now 3rd Largest in the World
मेट्रो प्रणालियों के गलियारों और लेन ने भारत में शहरी यात्रा को नया रूप दिया है, जिसकी यात्रा दशकों पहले शुरू हुई थी। साल 1969 में, मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के माध्यम से मेट्रो सिस्टम की पहल शुरू की गई थी। हालांकि, पहले कदम को हकीकत बनने में लगभग दो दशक लग गए।
भारत में मेट्रो का विस्तार सिर्फ़ ज़मीनी परिवहन तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि भविष्य के लिए नए-नए समाधान भी अपनाए जा रहे हैं। नदी के नीचे सुरंगों से लेकर चालकरहित ट्रेनों और जल मेट्रो तक, भारत आधुनिक शहरी गतिशीलता में नए मानक स्थापित कर रहा है।
घरेलू प्रगति के साथ-साथ, मेट्रो रेल प्रणालियों में भारत की विशेषज्ञता में अंतर्राष्ट्रीय रुचि भी बढ़ रही है। फिलहाल, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन जकार्ता में परामर्श सेवाएं प्रदान कर रहा है। इज़राइल, सऊदी अरब, केन्या और अल साल्वाडोर जैसे देश भी अपनी मेट्रो विकास परियोजनाओं के लिए डीएमआरसी के साथ सहयोग की संभावना तलाश रहे हैं।
जैसे-जैसे मेट्रो नेटवर्क बढ़ता जा रहा है, यह शहरी गतिशीलता के लिए नए मानक स्थापित कर रहा है और अधिक सम्पर्क वाले भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
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