जामवंत से किया हुआ वादा निभाने कृष्णावतार में यहां आए थे श्रीराम...

राजस्थान के सिरोही शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर अरावली स्थित नांदिया ग्राम की पवित्र धरती पर रिछी पर्वत की गोद में प्रसिद्ध रिछेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। 

कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम और रावण युद्ध के समय युद्ध समाप्ति तक जामवन्त नहीं थके तो उन्होंने भगवान श्रीराम से ही कहा कि अभी मुझे और युद्ध करना है। इस बात पर श्रीराम ने कहा कि अब मैं आपको द्वापर युग में कृष्णावतार के रूप में मिलूंगा, तब आपकी यह इच्छा पूरी होगी। तब तक के लिए जामवन्त रिछी पर्वत पर जाकर तपस्या में लीन हो गए।

द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण पर स्यमंतक मणि चुराने का आरोप लगा तो अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए वह मणि की खोज में यहां पहुंचे। यहां उन्होंने जामवंत की पुत्री के गले में वह मणि देखी। लेकिन, जामवन्त ने मणि लौटाने से इनकार कर दिया। इसके चलते श्रीकृष्ण और जामवंत के बीच 28 दिन तक मल्ल युद्ध चला। अंत में, भगवान श्रीकृष्ण ने जब अपना साक्षात विष्णु रूप जामवंत को दिखाया तो वह पहचान गए कि भगवान श्रीराम अपना वचन निभाने लौट आए हैं।

अपनी पुत्री जामवंती के साथ विवाह की शर्त पर जामवन्त ने श्रीकृष्ण को मणि लौटा दी। श्रीकृष्ण ने शर्त मानकर जामवंती से ब्याह रचाया और मंदिर स्थित एक स्तम्भ के चारों ओर फेरे लिए। तब भगवान शिव ने वहां प्रकट होकर दोनों को आशीर्वाद दिया और अंतर्ध्यान हो गए। उसके बाद यही शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हुआ जिसकी स्थापना श्रीकृष्ण के हाथों हुई। जामवन्त रीछों के राजा थे, इसलिए इस स्थान का नाम रिछेश्वर महादेव पड़ा। यहां मौजूद शिवलिंग पर प्राकृतिक जनेऊ की आकृति बनी हुई है।

इस मंदिर के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के चलते देशभर से श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते है। पर्वतों के बीच में होने के कारण यह मंदिर बहुत ही मनमोहक है। मंदिर के नीचे गुफा के पास एक पानी का कुंड बना हुआ है, जहां हमेशा पानी रहता है। यह पानी कभी भी नहीं सूखता है। रिछेश्वर महादेव जिन लोगों के कुलदेवता हैं, वे यहां अपने बच्चों का मुंडन कराने आते है। श्रावण माह में यहां भारी भीड़ होती है।

मंदिर की देखरेख करने वाले पुजारी परिवार के अनुसार श्रीकृष्ण जामवंती से विवाह के बाद मंदिर में बनी गुफा से माउंट आबू होते हुए द्वारका की ओर चले गए। इस मंदिर के अंदर से ही एक गुफा माउंट आबू तक जाती थी। माउंट आबू के मंदिरों में पूजा के दौरान बजने वाली झालर व घंटे-घड़ियाल की आवाज इस गुफा से साफ सुनाई देती थी। लेकिन, इस गुफा के रास्ते वन्य जीवों के मंदिर में आकर बैठ जाने के चलते कुछ दशक पूर्व इस गुफा को बंद कर दिया गया।

रिछेश्वर महादेव पहुंचने के लिए आप रेल मार्ग से पिंडवाड़ा रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर की दुरी स्थित गांव नांदिया में रिछी पर्वत की गुफा तक पहुंच सकते हैं।

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