‘सावरकर की कहानी को सार्वजनिक चर्चा में लाना था बहुत जरूरी’

विनायक दामोदर सावरकर की मुख्य भूमिका निभाने वाले रणदीप हुड्डा ने कहा है कि गुमनाम नायक वीर सावरकर की वास्तविक गाथा को सार्वजनिक चर्चा में लाना बहुत जरूरी था।

हुड्डा ने हाल ही में कहा है कि सावरकर हमेशा भारत को सैन्य रूप से सशक्त देखना चाहते थे। आज, विश्व में हमारे प्रभाव में काफी सुधार हुआ है। यह फिल्म सशस्त्र संघर्ष के एक और पहलू को उजागर करती है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे इसने क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता के लिए हथियार उठाने के लिए प्रेरित किया।

हुड्डा के अनुसार, यह फिल्म भारत की स्वतंत्रता के कई अनकहे नायकों में से एक वीर सावरकर की गुमनाम गाथा को सामने लाती है। यह मातृभूमि के प्रति उनके प्रेम और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके द्वारा झेले गए भयानक परिणामों को भी उजागर करती है।

यह फिल्म न केवल क्रांतिकारी विचारक और कवि विनायक दामोदर सावरकर के जीवन को दर्शाती है बल्कि उनके सशस्त्र प्रतिरोध के कट्टर समर्थक के रूप में उनके बदलाव, उनके वैचारिक संघर्षों और सेलुलर जेल में उनके कारावास के वर्षों को भी दर्शाती है।

व्यक्तिगत बलिदानों और रणनीतिक नेतृत्व के माध्यम से, सावरकर एक जटिल व्यक्ति के रूप में उभरे हैं, जिनका एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत का सपना आज भी गूंजता रहता है।

रणदीप हुड्डा फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ के निर्देशक भी थे। आनंद पंडित, सैम खान, संदीप सिंह व योगेश राहर ने फिल्म का निर्माण किया था। फिल्म की पटकथा भी रणदीप हुड्डा ने ही लिखी थी। रणदीप हुड्डा के साथ-साथ अंकिता लोखंडे, अमित सियाल, मृणाल दत्त, जय पटेल व अंजली हुड्डा ने फिल्म में अहम भूमिकाएं निभाई थीं।

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