भारत में प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी की कहानी...

देश की स्वतंत्रता के लिए असंख्य लोगों ने अपना योगदान दिया। स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं और पुरुषों ने बराबर की हिस्सेदारी दी। स्वतंत्रता के इतने साल बाद, आज जमीन से लेकर आकाश तक ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहां महिलाओं ने अपनी उपस्थिति न दर्ज कराई हो। राष्ट्र के विकास में बराबरी से अपना योगदान देने वाली ऐसी ही एक महिला थीं - सुचेता कृपलानी।

सुचेता कृपलानी को स्वतंत्र भारत में किसी भी प्रदेश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उनका जन्म 25 जून, 1908 को अंबाला में हुआ। उनके पिता का नाम एसएन मजूमदार था। उनके पिता पेशे से चिकित्सक थे। साथ ही, राष्ट्रीय आंदोलनों की ओर भी उनका झुकाव था। सुचेता ने दिल्ली विश्वविद्यालय के इन्द्रप्रस्थ और सेंट स्टीफन कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। पिता के निधन के बाद, पारिवारिक उत्तरदायित्व सुचेता के कंधों पर आ गया। इसके बाद वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में व्याख्याता नियुक्त हुईं और अध्यापन कार्य प्रारंभ कर दिया। कक्षा में छात्रों को पढ़ाने के दौरान, सुचेता उन्हें स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित करती थी। वर्ष 1936 में उनका विवाह आचार्य जेबी कृपलानी के साथ संपन्न हुआ। विवाह के पश्चात सुचेता कृपलानी सक्रिय तौर पर स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गईं।

अरुणा आसफ अली और उषा मेहता जैसी महिलाओं के साथ, सुचेता वर्ष 1942 भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ीं। इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। विभाजन के समय जो दंगे हुए थे, उसके पीड़ितों के पुनर्वास के लिए सुचेता कृपलानी ने बहुत कार्य किया। महात्मा गांधी के निर्देशन में उन्होंने शरणार्थियों के लिए भी बहुत काम किया। वह भारत की संविधान समिति में भी शामिल थीं। 1949 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रतिनिधि के रूप में चुना गया था। स्वतंत्रता के बाद सक्रिय राजनीति में उन्होंने प्रवेश किया। वर्ष 1952 में वह लोकसभा की सदस्य बनीं। वर्ष 1957 में नई दिल्ली विधानसभा की सदस्य बनी। उन्हें लघु एवं उद्योग मंत्रालय प्रदान किया गया। वह 1962 में उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य निर्वाचित हुईं।

सुचेता कृपलानी 2 अक्टूबर 1963 को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी। इस तरह उन्हें भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ। वह इस पद पर 13 मार्च, वर्ष 1967 तक आसीन रही। मुख्यमंत्री के रूप में एक कुशल प्रशासक की तरह, उन्होंने अपने प्रदेश में विकास कार्य करवाए। पद पर रहते हुए, उन्होंने एक सक्षम प्रशासक और कुशल संगठनकर्ता के रूप में अपनी क्षमता साबित की। अपनी ईमानदारी, बुद्धिमत्ता और कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने कई समस्याओं को प्रभावी ढंग से सुलझाया। वर्ष 1967 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 1971 में सुचेता कृपलानी ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। वर्ष 1974 में नई दिल्ली में सुचेता कृपलानी का निधन हो गया। वह स्वतंत्र विचारों वाली महिला थीं। उनमें सभी को साथ लेकर चलने का गुण विद्यमान था। एक प्रभावी और कुशल राजनेता के रूप में सुचेता कृपलानी सदैव आदर से याद की जाएंगी।

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