अक्टूबर, 2024 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, यानी यूपीआई, ने एक महीने में 16.58 अरब वित्तीय लेनदेन को संसाधित करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह भारत के डिजिटल परिवर्तन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा साल 2016 में लॉन्च किए गए यूपीआई ने कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन में एकीकृत करके देश के भुगतान इकोसिस्टम में क्रांति ला दी है। यह प्रणाली निर्बाध निधि हस्तांतरण, व्यापारी भुगतान और पीयर-टू-पीयर लेनदेन को सक्षम बनाती है, जो उपयोगकर्ताओं को निर्धारित भुगतान अनुरोधों के माध्यम से लचीलापन प्रदान करती है।
Read in English: UPI revolutionizing digital payments, now worldwide…
यूपीआई ने न केवल वित्तीय लेन-देन को तेज, सुरक्षित और सरल बना दिया है, बल्कि इसने आम लोगों, छोटे व्यवसायों और व्यापारियों को भी सशक्त बनाया है। इससे देश नकदी रहित अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर हुआ है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि समावेशी विकास और आर्थिक प्रगति के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
यूपीआई से माह अक्टूबर में 16.58 अरब वित्तीय लेनदेन के माध्यम से कुल 23.49 लाख करोड़ रुपये का प्रभावशाली लेनदेन किया गया, जो इसी अवधि में पिछले साल हुए कुल 11.40 अरब लेनदेन की तुलना में 45 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। इसके प्लेटफॉर्म से 632 बैंक जुड़े हैं, तथा इसके उपयोग में यह वृद्धि भारत के भुगतान परिदृश्य में यूपीआई के बढ़ते प्रभुत्व को उजागर करती है।
यूपीआई ने चौबीस घंटे लेन-देन की सुविधा प्रदान करके और सिंगल-क्लिक भुगतान और व एड्रेस जैसी सुविधाएं प्रदान करके इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है। एक ऐप में कई बैंकिंग सेवाओं को एकीकृत करने की इसकी क्षमता इसे वित्तीय प्रौद्योगिकी में एक गेम-चेंजर बनाती है।
यूपीआई ने छोटे व्यवसायों, रेहड़ी-पटरी वालों और प्रवासी श्रमिकों के कामकाज पर गहरा प्रभाव डाला है। इससे उन्हें पैसे ट्रांसफर करने और भुगतान प्राप्त करने का एक आसान और कुशल तरीका मिल गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान इसका उपयोग विशेष रूप से तेज़ हुआ, क्योंकि लोगों ने नकद लेनदेन के लिए सुरक्षित, संपर्क रहित विकल्प तलाशे। हालांकि, यूपीआई की सफलता, इसके बुनियादी ढांचे की मजबूती से कहीं आगे तक है। यह इसके द्वारा प्रेरित व्यवहारगत बदलाव से भी उपजी है, जहां प्रणाली में विश्वास और इसकी सुलभता इसके व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने में प्रमुख कारक रहे हैं।
इस बदलाव को सुगम बनाने वाले छोटे लेकिन महत्वपूर्ण नवाचारों में से एक भुगतान ऐप्स द्वारा वॉयस बॉक्स का उपयोग है। ये डिवाइस आमतौर पर स्नैक कार्ट और चाय की दुकानों पर पाए जाते हैं, जो प्रत्येक क्यूआर कोड लेनदेन के साथ प्राप्त होने वाली धनराशि की घोषणा करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि विक्रेता जो अक्सर फ़ोन संदेशों की जांच करने में बहुत व्यस्त होते हैं, उन्हें अपनी कमाई के बारे में पता हो। इस सरल, लेकिन प्रभावी सुविधा ने छोटे व्यापारियों का विश्वास जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो पहले नकद लेनदेन के आदी थे और डिजिटल भुगतान के मामले में सावधान रहते थे।
यूपीआई की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें उपयोगकर्ताओं को अपने पसंदीदा भुगतान ऐप चुनने की सुविधा दी गई है, भले ही उनका खाता किसी भी बैंक में हो। इस आसानी ने उपभोक्ताओं को विकल्प चुनने की शक्ति प्रदान की है, जिससे उनके लिए यूपीआई को अपने भुगतान पद्धति के रूप में अपनाना आसान हो गया है।
रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई के साथ एकीकृत करना डिजिटल भुगतान परिदृश्य में एक और क्रांतिकारी कदम है। यह सुविधा उपयोगकर्ताओं को लेनदेन के लिए क्रेडिट कार्ड और यूपीआई दोनों के लाभों तक पहुंच की अनुमति देती है, जिससे वे बचत खातों से पैसे निकालने के बजाय अपनी क्रेडिट लाइनों के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं।
भारत की यह डिजिटल भुगतान क्रांति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गति पकड़ रही है। अब यूपीआई और रुपे दोनों ही दुसरे देशों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। वर्तमान में, यूपीआई सात देशों में जारी है। इनमें यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं।
फ्रांस में यूपीआई का आना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह यूरोप में पहली बार उपयोग किया जा रहा है। यह विस्तार भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों को विदेश में रहते हुए या यात्रा करते हुए भी सहजता से भुगतान करने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
अपनी वैश्विक पहुंच से भारत ने ब्रिक्स समूह के भीतर यूपीआई के विस्तार के लिए सक्रिय रूप से प्रयास किया है। इसमें अब छह नए सदस्य देश शामिल हो गए हैं। इस पहल से धन प्रेषण प्रवाह को और बढ़ावा मिलने, वित्तीय समावेशन में सुधार होने और वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में भारत का कद और उंचा होने की उम्मीद है।
एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार 2023 तक विश्व में रीयल-टाइम भुगतान लेनदेन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 49 प्रतिशत है, जो डिजिटल भुगतान नवाचार में भारत के नेतृत्व को दर्शाता है। यूपीआई की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति और डिजिटल लेनदेन में निरंतर वृद्धि के साथ भारत वित्तीय समावेशन और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नए वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है।
कुल मिलाकर, यूपीआई न केवल डिजिटल भुगतान के नए मानक स्थापित कर रहा है, बल्कि देश के नागरिकों को सशक्त भी बना रहा है। आर्थिक अवसरों को बढ़ा रहा है। और, वैश्विक वित्तीय क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभाव में अपना अहम योगदान दे रहा है।
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