फकीर दूसरों के दोष नही देखते

बगदाद में मारुक नाम के एक साधु पुरुष रहते थे। एक बार एक भाई उनके साथ उनकी झोंपड़ी में मेहमान के नाते ठहरे, नमाज का वक्त होने पर वे भाई उठे और एक कोने में जाकर नमाज पढ़ने लगे।

 

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