भारत आज एक ऐसे निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, जहां यह सिर्फ सीमाओं की रक्षा नहीं, बल्कि अपनी सभ्यता, संस्कृति और भविष्य की लड़ाई लड़ रहा है। यह संघर्ष केवल आतंकवाद के खिलाफ नहीं, बल्कि उस मध्ययुगीन मानसिकता के विरुद्ध है, जो मानवता को गुलाम बनाना चाहती है। यह जंग है—आधुनिकता बनाम बर्बरता, प्रगति बनाम पिछड़ापन, एकता बनाम टुकड़ों में बंटी सोच...
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