विविधा और व्यंग्य

बहुत पुरानी बात है, जब मोबाइल नहीं, पर मुंह बहुत चला करते थे। आगरा में मुगल बादशाह के जागीरदार का एक गांव था टेढ़ी बगिया के पास, ‘ठुमकपुर’। वहां की सबसे नामी ठुमकिया थी, चंपा देवी झटकनिया। नाम ऐसा कि सुनते ही पायल खुद बज उठे, पर असलियत कुछ और ही थी...

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साल 1950 में संविधान सभा ने ‘वंदे मातरम्’ को भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया। शुरू में ‘वंदे मातरम्’ की रचना स्वतंत्र रूप से की गई थी और बाद में इसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के 1882 में प्रकाशित उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया गया...

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जैसे ही पेड़ों की पत्तियां पीली होकर ज़मीन पर गिरने लगती हैं, भारत में केक काटने का सीज़न शुरू हो जाता है। जी हां, सितंबर से अक्टूबर के बीच देशभर में जन्मदिनों की झड़ी लग जाती है। ऐसा लगता है जैसे कैलेंडर ने भी तय कर लिया हो कि ये दो महीने सिर्फ़ “हैप्पी बर्थडे” गाने के लिए आरक्षित हैं...

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किसी छोटे शहर की गली में जब एक लड़की किसी दूसरी जाति के लड़के का हाथ थाम लेती है, उसके साथ कॉफ़ी पीने चली जाती है, तो समझ लीजिए, यह सिर्फ़ मोहब्बत नहीं बल्कि एक बग़ावत है। यह वो इश्क़ है जो ऊंच-नीच की दीवारों, जात-पात की सरहदों, और सदियों पुरानी सोच के ताले तोड़ रहा है। यह नया भारत है, जहां प्यार अब पाप नहीं, परिवर्तन की पुकार बन गया है।

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किसी भी तरह के रिश्ते में शब्दों की मिठास का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। रिश्ता फिर चाहे मां-बाप के साथ हो, पति-पत्नी के बीच हो, आपसी दोस्ती का हो या फिर किसी भी अड़ोसी-पड़ोसी के साथ हो...

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क्या हमारे बेडरूम ख़ून से सने जंग के मैदान बन रहे हैं? कभी बीवियां ईंटों से शौहर का सर कुचल देती हैं, तो कहीं आशिक लाश को सीमेंट के ड्रम में छिपा देता है। हिंदुस्तान की नई मोहब्बत अब धोखे और दरिंदगी की स्क्रिप्ट बन चुकी है। हर मुस्कुराते सेल्फी वाले जोड़े के पीछे छिपी हो सकती है कोई सीक्रेट चैट, कोई भषड़ भरा ग़ुस्सा, या कोई पहले से लिखा हुआ क़त्ल का प्लान। जैसे-जैसे एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे बढ़ रहा है एक नया क्राइम ऑफ़ पैशन, जहां प्यार मरता नहीं, मार देता है...

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