अरुण गोविल के राजनीति में आगमन से मेरठ संसदीय सीट का चुनाव काफी रोचक हो गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के राजेन्द्र अग्रवाल ने इस सीट पर बहुत कम वोटों के अन्तर से विजय प्राप्त की थी और तब यह चुनाव मात्र हिन्दू-मुस्लिम के मध्य होकर ही रह गया था।
विगत चुनाव के इतर, इस बार किसी भी दल ने मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। बसपा ने जहां इस बार देवव्रत त्यागी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने इंडिया गठबंधन की ओर से सुनीता वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। इससे इस सीट पर द्वंद्व त्रिकोणीय होने की सम्भावना बढ़ गई हैं। ध्यान रहे, सपा ने यहा तीन बार अपने उम्मीदवार बदल डाले हैं। विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा मेरठ की महापौर भी रह चुकी हैं। दलित समाज से संबंद्ध होने के चलते दलित वोट सुनीता वर्मा के समर्थन में जा सकता है।
मुस्लिम समाज का समर्थन विगत लोकसभा चुनाव की भांति इस बार भी बसपा प्रत्याशी को ही मिलने की संभावना है। भाजपा के परम्परागत वैश्य वोट अरुण गोविल को ही मिलना लगभग तय है। साथ ही, उन्हें भारतीय जनता पार्टी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठित कार्यकर्ताओं का बल भी मिलेगा। ऐसे में संभावना है कि अरुण गोविल को इस सीट पर विजय प्राप्त करने में समस्या नहीं होनी चाहिए। इस सीट से पूर्व चयनित सांसद राजेन्द्र अग्रवाल की लोगों में अच्छी छवि है, इसलिए उनके काम का प्रतिसाद भी अरुण गोविल को मिलना संभव है।
एक फिल्मी अभिनेता होने के चलते जनता के बीच उठे संशयों को यदि अरुण गोविल दूर कर पाए तो लोक आशीर्वाद उन्हें जरूर मिल सकता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है मेरठ में मुकाबला बेहद रोचक हो चला है।
(लेखक आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं)
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