सोने की बेड़ियों में यहां बंधे हैं वीर हनुमान...!

 

बेड़ी हनुमान मंदिर भक्त और भगवान के बीच अनूठे संबंध की कहानी कहता है। जगन्नाथ स्वामी के दर्शन करने वाला हर भक्त बेड़ी हनुमान जरूर जाता है। इसकी वजह यह बताई जाती है कि जो भक्त जगन्नाथ स्वामी के दर्शन करके आते हैं, हनुमान उनकी ही आंखों के जरिये यहां प्रभु के दर्शन करते हैं।

ओडिशा में स्थित पावन पुरी क्षेत्र को जगन्नाथ पुरी धाम के तौर पर जाना जाता है। यह सप्तपुरियों में एक पवित्र नगरी है और जिस तरह से महादेव शिव ने लोगों के कल्याण के लिए काशी को अपना निवास धाम बनाया ठीक उसी तरह द्वापरयुग की द्वारका के नष्ट हो जाने के बाद श्रीकृष्ण अवतार में विष्णु ने पुरी को अपना निवास बनाया। इस तरह जगत के स्वामी के स्थान के नाम पर यह स्थान जगन्नाथ पुरी धाम कहलाया है।

किवदिंतियों के अनुसार, जब भगवान नील माधव पुरी के राजा इंद्रद्युम्न के राज्य में पधारे तो उनके सभी भक्त दर्शन करने पहुंचे। स्वर्ग से देवता, कैलाश से महादेव, दक्षिण से कार्तिकेय और उत्तर से लोकपालों सहित श्रीगणेश भी आए।

जगन्नाथ स्वामी ने सबको उनके अनुरूप इच्छानुसार उसी रूप में दर्शन दिया। इस अवसर पर चिरंजीवी हनुमान भी पधारे। उन्हें अपने प्रभु श्रीराम के दर्शन करने थे तो वह भी सागर पारकर चल पड़े। समुद्र ने जब उन्हें देखा तो वह भी उनके पीछे हो लिया।

हनुमान ने तो श्रीराम के दर्शन कर लिए, लेकिन सागर के नगर में घुसने के कारण पूरा क्षेत्र जलमग्न हो गया। श्रीराम ने सागर को भी दर्शन दिए तो सागर लौट गया। लेकिन, समुद्र को जब भी मन करता वह पुरी क्षेत्र में चला आता। तब जगन्नाथ ने हनुमान को आदेश दिया कि वह सागर को वहीं किनारे तक रोककर रखें। हनुमान ने समुद्र को बांध दिया। इसी कारण पुरी का समुद्र शांत रहता है। लेकिन, हनुमान भी भगवान के भक्त। वह भी श्रीराम के दर्शन करना चाहते थे। वह जब भी पुरी में प्रवेश करते तो सागर उनके पीछे-पीछे चला आता। ऐसा कई बार हुआ और पुरी क्षेत्र को बहुत हानि हुई। तब जगन्नाथ स्वामी श्रीराम के रूप में आए और हनुमान को समुद्र के किनारे ले जाकर सोने की बेड़ियों में बांध दिया और हंसते हुए कहने लगे, अब तुम दोनों भक्त यहीं से मेरे दर्शन करना।

प्रभु की आज्ञा पाकर हनुमान आज भी बेड़ियों में जकड़े हुए समुद्र से पुरी धाम की रक्षा कर रहे हैं। माना जाता है पुरी धाम में सागर के किनारे स्थित बेड़ी हनुमान मंदिर इस कथा का साक्षी है। इस मंदिर में हनुमान को जंजीरों में बांधने के कारण इसे बेड़ी हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोग इसे दरिया महावीर मंदिर भी कहते हैं। दरिया का अर्थ सागर से लगाया जाता है। बेड़ी हनुमान मंदिर भक्त और भगवान के बीच अनूठे संबंध की कहानी कहता है।

मंदिर में हनुमान जी का मुख कुछ टेढ़ा है और आंखें चौड़ी हैं। कहते हैं कि जब भगवान उन्हें बांधकर यहां से गए तो वह उसी ओर देखते रहे, जिधर से भगवान गए। इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र हैं। पश्चिमी दिशा की दीवार पर अंजना अपने गोद में बैठे बच्चे से लाड़ कर रही हैं। उत्तरी दिशा की दीवार पर सुसज्जित खम्भे की चौकी को पकड़े खड़ी एक दैवत्व महिला और दक्षिणी ओर की दीवार पर भगवान गणेश की तस्वीर है। यह मंदिर लगभग 935 साल पुराना है।

कहा जाता है कि आज भी हनुमान बेड़ियों में बंधे रहकर पुरी नगर और श्री जगन्नाथ मंदिर की रक्षा कर रहे हैं। उनका यह रूप श्रद्धालुओं के लिए आस्था, भक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का अद्भुत प्रतीक है।



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