महान सिनेमेटोग्राफर वीके मूर्ति (1923-2014)... तकनीक की बारीकियों और सृजनात्मकता के शिखर वीके मूर्ति... अब वह हमारे बीच नहीं हैं! हां, उनकी भौतिक उपस्थिति नहीं है। अपनी अद्भुत सृजनात्मकता में वह हमेशा-हमेशा के लिए बने रहेंगे।
Read Moreमहान सिनेमेटोग्राफर वीके मूर्ति (1923-2014)... तकनीक की बारीकियों और सृजनात्मकता के शिखर वीके मूर्ति... अब वह हमारे बीच नहीं हैं! हां, उनकी भौतिक उपस्थिति नहीं है। अपनी अद्भुत सृजनात्मकता में वह हमेशा-हमेशा के लिए बने रहेंगे।
Read Moreवह भारतीय सिनेमा के उद्भव और विकास का समय था, जब व्ही शांताराम युवा विचारों, ऊर्जा और नए जोश की कहानियां लिए फिल्मों की ओर रुख करते हैं। ‘भक्त प्रह्लाद’, ‘सती सावित्री’, ‘खूनी खंजर’, ‘पड़ोसी’, ‘नवरंग’, ‘झांझर’, ‘डॉ . कोटनीश की अमर कहानी’ सरीखी अनेक फिल्मों में धार्मिकता और सामाजिकता के ही दर्शन नहीं होते... चुटीलापन, गंभीरता, हास्य-व्यंग्य, रस-रंग और कला के विभिन्न आयाम भी झलकते हैं। बहुरंगी छटाओं, छवियों और कहानियों वाली उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को सदाबहार दृष्टियां दीं।
Read Moreसाठ के दशक में सुंदर व्यक्तित्व, घुंघराले बालों और मनमोहक मुस्कान लिए शशि कपूर भारतीय सिनेमा में अपनी आकर्षक रोमांटिक छवि लिए छा गए। गंभीर कला और निर्देशन इस आकर्षण में चार-चांद लगा गए। पृथ्वीराज कपूर के बेटे राज कपूर और शम्मी कपूर के छोटे भाई शशि कपूर, कपूर परिवार के नए फूल की तरह महकने और अपनी छटा बिखेरने लगे।
Read Moreआप में से बहुत से बॉलीवुड प्रेमियों ने ‘पाकीज़ा’, ‘वक्त’, ‘हीर रांझा’, ‘लाल पत्थर’, ‘दिल एक मंदिर’ जैसी फिल्में देखी होंगी... इन फिल्मों के नाय़ाब अभिनेता राजकुमार हिन्दी फिल्मों के 'राजकुमार' थे।
Read Moreगोल्डन ऐलिफेंट के नाम से मशहूर अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह (आईसीएफएफआई) एक द्विवार्षिक समारोह है, जो बच्चों के अत्यंत रूचिकर और कल्पनात्मक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाल सिनेमा को भारत के कम उम्र के दर्शकों के लिए लाने का प्रयास करता है।(Read in English: International Children’s Film Festival of India)
Read Moreसफल अभिनेता और संगीत निर्देशक सी. रामचंद्र एक संपूर्ण कलाकार थे। जीवन के कलाकार। चाहे आम भारतीय फिल्मों का दर्द हो या हल्ला-हंगामा सी. रामचंद्र अपने प्रयोगों और रचनाधर्मिता में हमेशा कलात्मक रहे।
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