अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्यापारी हैं और ईरान का जीवित रहना अमेरिकी हितों के लिए उसके विनाश से कहीं अधिक मूल्यवान है। एक पराजित ईरान उस नाजुक भय के संतुलन को बिगाड़ देगा जो अमेरिका के हथियार व्यापार और क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ावा देता है।
ध्यान रहे, मध्य पूर्व, जिसमें ईरान एक स्थायी खलनायक की भूमिका निभाता है, निरंतर संघर्ष का एक रंगमंच है जो डॉलर के प्रवाह को बनाए रखता है। आंकड़ों पर गौर करें। सऊदी अरब को 110 बिलियन डॉलर, यूएई को 23 बिलियन डॉलर, और कतर को 12 बिलियन डॉलर के हथियार सौदे। ये केवल लेन-देन नहीं हैं बल्कि ये युद्ध अर्थव्यवस्था की सदस्यताएं हैं। इसमें ईरान को आवश्यक खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। ईरान की धमकी के बिना, इन सौदों का औचित्य कमजोर पड़ता है।
ट्रंप की हिचकिचाहट इसी वजह से है। उनकी व्यावसायिक समझ, जिसे अक्सर कमजोरी के रूप में देखा जाता है, मध्य पूर्व को एक बाजार के रूप में देखने का उनका दृष्टिकोण है। युद्ध एक उत्पाद है, और शांति एक बाजार दुर्घटना है। जख्मी, लेकिन विद्रोही ईरान क्षेत्र को अस्थिर रखता है, जिससे अमेरिकी हथियारों, सैन्य अड्डों और प्रभाव की मांग बनी रहती है। इजरायल की पूरी जीत इस रंगमंच को ध्वस्त कर सकती है।
यदि ईरान ढह जाता है, तो सऊदी अरब अमेरिकी सुरक्षा की आवश्यकता पर सवाल उठा सकता है, कतर अपनी स्वतंत्रता दिखा सकता है, और यूएई पूर्व की ओर रुख कर सकता है। पेट्रोडॉलर, एक अस्तित्वगत खतरे का सामना करेगा। अमेरिका का वैश्विक वित्तीय प्रभुत्व मध्य पूर्व को खंडित और निर्भर बनाए रखने पर टिका है।
पहली बार नहीं हो रहा है यह। अमेरिका ने भारत को पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को पूरी तरह नष्ट करने से रोका, यह एक उपयोगी प्रतिद्वंद्वी को बनाए रखने का एक और मामला है। ईरान, पाकिस्तान की तरह, एक बीमा पॉलिसी है। इतना खतरनाक कि हस्तक्षेप को उचित ठहराया जा सके, लेकिन इतना कमजोर नहीं कि वह खतरे के रूप में समाप्त हो जाए। हिजबुल्लाह की हरकतें, हूती ड्रोन, हमास की उकसावट, ये सभी एक प्रबंधित बीमारी के लक्षण हैं। अमेरिका इजरायल को हमला करने की अनुमति देता है, लेकिन जब जीत बहुत करीब दिखती है, तो वह लगाम खींच लेता है।
कूटनीति नैतिकता के बारे में नहीं है बल्कि यह आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन है। वाशिंगटन के बंद कमरों में, व्हिस्की पीते हुए और राष्ट्रों को शतरंज की बिसात की तरह हिलाते हुए बूढ़े लोग इसे समझते हैं। वे एक नाजुक संतुलन बनाए रखते हैं जहां ईरान क्रोधित होता है लेकिन कभी ढहता नहीं, जिससे युद्ध मशीन चलती रहती है। वॉल स्ट्रीट इस अराजकता पर फलता-फूलता है; शांति प्रॉफिट बेस्ड तंत्र को नष्ट कर देगी।
ट्रंप का ठहराव एक व्यावहारिक मास्टरस्ट्रोक है। यह कमजोरी नहीं, बल्कि खेल को जीवित रखने की कोशिशें पर्दे के पीछे चल रही हैं। आगे भी युद्ध की संभावना बनी रहे। यह एक ऐसा विश्व है जहां संघर्ष एक नवीकरणीय संसाधन है, अर्थ व्यवस्था को नई ऊर्जा मिले, नए अवसर, नए तालमेल और चौधराहट के लिए नई-नई चौपालें...।






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