योग दुनिया को भारत द्वारा दिए गए सबसे बड़े उपहारों में से एक है। योग शारीरिक व्यायाम से कहीं बढ़कर, जीवन जीने की एक शैली है, जो मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक स्थिरता और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। आज इसकी प्रासंगिकता खास तौर पर प्रबल है, क्योंकि विश्व मानव और पृथ्वी के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने वाले कल्याण के साझा दृष्टिकोण को अंगीकार कर रहा है।
संस्कृत के मूल शब्द युज, जिसका अर्थ है ‘एकजुट होना’ से व्युत्पन्न योग शरीर, मन और आत्मा को एकीकृत करता है। महर्षि पतंजलि द्वारा योग सूत्र में संहिताबद्ध, यह आठ अंगों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जो नैतिक जीवन, अनुशासन और आंतरिक शांति का मार्गदर्शन करते हैं।
आज की तेज़ रफ़्तार दुनिया में, जहां तनाव, डिजिटल ओवरलोड और भावनात्मक थकान सामान्य बात है, ऐसे में योग आत्म-पुन:स्थापन के एक सशक्त उपकरण का कार्य करता है। दैनिक अभ्यास से मुद्रा में सुधार होता है, प्रतिरक्षा में वृद्धि होती है और भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा मिलता है। विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान, यह मानसिक और शारीरिक मजबूती के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसके महत्व को स्वीकार करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शारीरिक गतिविधि 2018-2030 से संबंधित अपनी वैश्विक कार्य योजना में योग को शामिल किया।
Read in English: Yoga, India’s timeless gift to the world…
भारत कई तरीकों से दुनिया के साथ योग साझा कर रहा है। विदेश स्थित विश्वविद्यालयों में आयुष पीठ स्थापित की हैं और भारतीय दूतावासों के माध्यम से कार्यशालाएं आयोजित की हैं। डिजिटल अभियान और वाई-ब्रेक और ‘दीक्षा’ जैसे ऐप लोगों को अपने दैनिक जीवन में, खासकर कार्यस्थल और स्कूल में योग को शामिल करने में मदद करते हैं।
योग की लोकप्रियता से नई नौकरियां और व्यवसाय भी सृजित हो रहे हैं। ज़्यादा से ज्यादा लोग योग सीखने के लिए ऋषिकेश, काशी और केरल जैसी जगहों पर जा रहे हैं। हवाई अड्डे, होटल और वेलनेस सेंटर अब योग की सुविधाएं दे रहे हैं। योग के उपयुक्त कपड़े, उपकरण, प्रशिक्षक और कार्यस्थल पर स्वास्थ्य कार्यक्रमों का बाजार भी बढ़ रहा है। योग रोजमर्रा की जिंदगी और कामकाज का हिस्सा बनता जा रहा है।
निरंतर परिवर्तनशील इस दुनिया में प्राचीन ज्ञान पर आधारित योग संतुलन प्रदान करता है। यह व्यक्तियों के भीतर और समूचे ग्रह में शक्ति, स्पष्टता और संबंध को बढ़ावा देता है। योग भारत की सॉफ्ट पावर के प्रतीक के रूप में, सीमाओं और संस्कृतियों से परे जाकर शांति, कल्याण और एकता को बढ़ावा देता है। यह ज्ञान, परंपरा और कालातीत मूल्यों के माध्यम से वैश्विक सद्भाव को प्रेरित करने की भारत की क्षमता को प्रतिबिम्बित करता है।
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