आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को आसान शब्दों में यहां समझें...

केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश करने से पहले देश के सामने आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बावजूद भारत में निरंतर आर्थिक विकास होता रहा है। वित्त वर्ष 2025 में भारत की वास्त्विक जीडीपी वृद्धि 6.4 प्रतिशत रही जो दशकीय औसत के काफी करीब है। हम यहां सर्वेक्षण के सभी तथ्यों को बिंदुवार प्रस्तुत कर रहे है... (अंग्रेजी में पढ़ें  : What ‘Economic Survey’ says…! Know here in the simplest way…)

  • सर्वेक्षण में कहा गया है कि वास्तविक मूल्य वर्द्धन के 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025 में कृषि क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है। वहीं. औद्योगिक क्षेत्र में भी 2025 में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
  • निर्माण गतिविधियों और विद्युत, गैस, जलापूर्ति तथा अन्य उपयोगिता सेवा क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि दर से औद्योगिक विस्तार को मदद मिल सकती है। वित्तीय, रियल एस्टेट, पेशेवर सेवाएं, सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में बढ़ती गतिविधियों की वजह से सेवा क्षेत्र में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद जताई गई है।
  • घटती-बढ़ती वृद्धि दर को देखते हुए, इस समीक्षा में वित्त वर्ष 2026 में वास्तविक जीडीपी के 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया गया है।
  • आर्थिक नीतियों और व्यापार नीति में अनिश्चतता को लेकर वैश्विक चिंताओं की वजह से जोखिम के संदर्भ में वैश्विक कारकों और घरेलू वृद्धि के कारकों को मजबूत करने की महत्ता पर जोर दिया गया है।
  • प्रणालीगत विनियमन के मुख्य तत्व पर फोकस करते हुए भारत को आंतरिक साधनों और विकास के घरेलू प्रोत्साहकों पर नए सिरे से बल देने की जरूरत है। इससे आसानी से कानून सम्मत आर्थिक गतिविधियां संपन्न करने के लिए व्यक्तिगत और सांगठनिक व्यवसाय में आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त हो सकेगी।
  • समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि सुधार और आर्थिक नीति ईंज ऑफ डूइंग विज़नेस 2.0 के तहत प्रणालीगत तरीके से बनाई जाए। इससे देश के एसएमई क्षेत्र को व्यावहार्य बनाने में प्रोत्साहन मिलेगा।
  • वित्त वर्ष 2025 के पहली छमाही में कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर में निरंतरता बनी रही। दूसरी तिमाही में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर रही जो पिछले चार तिमाहियों में सुधार का संकेत है।
  • बेहतर खरीफ उत्पादन और पानी की पर्याप्त उपलब्धता से कृषि क्षेत्र में बेहतर उत्पादनों को बल मिला। वर्ष 2024-25 में कुल खरीफ खाद्यान उत्पादन के रिकॉर्ड 1647.05 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो वर्ष 2023-24 की तुलना में 5.7 प्रतिशत अधिक और पिछले पांच वर्षों के दौरान औसत खाद्यान उत्पादन से 8.2 प्रतिशत अधिक है।
  • वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में औद्योगिक क्षेत्र में छह प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और वित्त वर्ष 2025 में इसके 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
  • पहली तिमाही में 8.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई लेकिन तीन कारकों की वजह से दूसरी तिमाही में इसमें थोड़ी कमी आई। पहला, गंतव्य देशों की तरफ से कमजोर मांग होने और उनकी कठोर व्यापारिक तथा औद्योगिक नीतियों से विनिर्माण निर्यात में काफी कमी आई। दूसरा, औसत से अच्छे मानसून का मिश्रित प्रभाव पड़ा, इससे कृषि को तो मदद मिली, जबकि इससे खनन, निर्माण और कुछ हद तक विनिर्माण क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा। तीसरा, पिछले और मौजूदा वर्षों में सितम्बर और अक्तूबर माह के दौरान त्यौहारों के समय में बदलाव की वजह से वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में वृद्धि प्रभावित हुई।
  • विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भारत पीएमआई के विनिर्माण में तेज वृद्धि दर्ज करता रहा। दिसम्बर, 2024 के लिए नवीनतम पीएमआई विनिर्माण विस्तारक क्षेत्र में बेहतर रहा, जिससे नए व्यापार मिले, तेज मांग हुई और विज्ञापन कोशिशों में भी तेजी आई।
  • सेवा वित्त वर्ष 2025 में सेवा क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखेगा। इस वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। सभी उप श्रेणियों में सभी उप क्षेत्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया।
  • वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल-नवम्बर महीनों के दौरान देश के सेवा निर्यात में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 5.7 प्रतिशत से अधिक है।
  • विकास प्रकिया को महंगाई, वित्तीय स्थिति और भुगतान संतुलन जैसे मोर्च पर स्थायित्व से काफी मदद मिली।
  • खुदरा महंगाई 5.4 प्रतिशत से घटकर अप्रैल-दिसम्बर 2024 में 4.9 प्रतिशत हो गई। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक से निर्धारित खाद्य महंगाई वित्‍त वर्ष 2024 में 7.5 प्रतिशत से घटकर वित्‍त वर्ष 2025 (अप्रैल-दिसंबर) में 8.4 प्रतिशत हो गई। इसमें सब्जियों औ दालों का योगदान है।
  • पूंजीगत व्‍यय में वित्‍त वर्ष 2021 से 2024 तक लगातार सुधार हुआ है। आम चुनाव के बाद केन्‍द्र सरकार के कैपेक्‍स में जुलाई से नवम्‍बर 2024 के दौरान साल-दर-साल आधार पर 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • कुल कर राजस्‍व में अप्रैल-नवम्‍बर, 2024 के दौरान साल-दर-साल आधार पर 10.7 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद केन्‍द्र सरकार को प्राप्‍त कर राजस्‍व में कोई खास वृद्धि नहीं हुई।
  • केन्‍द्र सरकार के जीटीआर और राज्‍यों के ओटीआर में अप्रैल-नवम्‍बर 2024 के दौरान अच्‍छी वृद्धि हुई। राज्‍यों का राजस्‍व खर्च अप्रैल-नवम्‍बर 2024 के दौरान 12 प्रतिशत बढ़ा। इसमें सब्सिडी और जिम्‍मेदारियों के निर्वहन में वृद्धि क्रमश: 25.7 प्रतिशत और 10.4 प्रतिशत रही।
  • बैंकिंग क्षेत्र में मजबूत संचालन प्रदर्शन और पूंजी की वजह से स्‍थायित्‍व को रेखांकित किया गया है। बैंकिंग प्रणाली में सकल गैर-निष्‍पादित संपत्तियां घटकर 12 वर्षों में सबसे कम सकल ऋण और एडवांस का 2.6 प्रतिशत रह गईं। अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सीआरएआर सितंबर 2024 तक 16.7 प्रतिशत था, जो सामान्‍य से अधिक है। 
  • बाह्य क्षेत्र की स्थिरता सेवाओं के व्‍यापार और उपार्जन से सुरक्षित है और भारत के मर्चेंडाइज्‍ड निर्यात में अप्रैल-दिसंबर 2024 वर्ष आधार वर्ष में 1.6 प्रतिशत बढ़ोत्‍तरी हुई है।
  • भारत के मजबूत सेवा निर्यात क्षेत्र ने देश को वैश्विक सेवा निर्यात में सातवां सबसे बड़ा हिस्सा हासिल करने में मदद की है, जो इसके प्रतिस्पर्धा स्तर को रेखांकित करता है।
  • विदेशों में रह रहे भारतीय कामगारों द्वारा भारत में धन भेजने में काफी वृद्धि हुई है। विश्व में ओईसीडी अर्थव्यवस्था रोजगार सृजन में शीर्ष पर पहुंच गया है। इन दोनों कारकों से वर्ष 2025 के दूसरी तिमाही में भारत का मौजूदा वित्तीय घाटा सकल घरेलू दर के 1.2 प्रतिशत पर स्थिर रहा।
  • वित्तीय वर्ष 2025 में सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश वित्तीय वर्ष 2024 के पहले आठ महीने में यूएसडी 47.2 बिलियन से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2025 के इसी अवधि में यूएसडी 55.6 बिलियन की वृद्धि हुई है। जो वर्ष-दर-वर्ष आधार पर जो 17.9 प्रतिशत बढ़ा है। वर्ष 2024 में दूसरी छमाही में एफपीआई प्रवाह में वैश्विक भू-राजनीतिक और मौद्रिक नीति विकास के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव रहा।
  • स्थिर पूंजी प्रवाह के परिणामस्वरूप, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 616.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जो सितंबर 2024 तक बढ़कर 704.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। यह 3 जनवरी 2025 तक 634.6 बिलियन डॉलर पर स्थिर है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी ऋण के 90 प्रतिशत हिस्से का भुगतान करने और दस माह से अधिक के आयात मद का भुगतान करने में सक्षम है।
  • रोजगार के मामले में भारत की अच्छी स्थिति को रेखांकित किया गया है। कोरोना महामारी के बाद हुए सुधार और सामान्‍य स्थिति होने से हाल के वर्षों में भारत में श्रम बाजार में वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए बेरोजगारी दर छह प्रतिशत थी जो 2023-24 में घटकर 3. 2 प्रतिशत रह गई।
  • भारत के श्रम बाजार में एआई को अपनाने से उत्पादकता बढ़ाने, कार्यबल की गुणवत्ता को बढ़ाने और रोजगार के अवसर सृजन होने में मदद मिलती है, बशर्ते कि मजबूत संस्थागत नेटवर्क के माध्यम से प्रणालीगत चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जाए।
  • एआई आधारित परिदृय में सफल रहने के लिए शिक्षा और कौशल विकास को प्राथमिकता देना महत्‍वपूर्ण होगा। इस समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने में कई व्यवधान है। जिसके लिए निति निर्माताओं को इस क्षेत्र में ध्‍यान देने की जरूरत है। श्रम क्षेत्र में एआई के समाज पर पड़ने वाले संभावित विपरित प्रभाव को कम करने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण सरकार निजी क्षेत्र और शिक्षा क्षेत्र को आपस में सहयोग करने का आवाहन करता है।
  • आधारभूत ढांचा क्षेत्र में उच्‍च वृद्धि को बनाए रखने के लिए अगले दो दशकों से अधिक आधारभूत संबंधी निवेश को बनाए रखने की आवश्‍यकता की बात कही गई है।
  • रेलवे संपर्क के क्षेत्र में वर्ष 2024 अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच 2031 किलोमीटर रेलवे नेटवर्क बढ़ाया गया और वंदे भारत के नए 17 जोड़ों को भारतीय रेल में शामिल किया गया है।
  • वित्तीय वर्ष में बंदरगाह क्षमता में वृद्धि हुई है। इससे बड़े बंदरगाहों के बीच कंटेनरो के टर्न-अराउंड टाइम में कमी आई है जो वित्तीय वर्ष 2024 के 48.1 घंटे कम होकर वित्तीय वर्ष 2025 (अप्रैल-नवंबर) में 30.4 घंटे रह गया है।

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