भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में ₹1.41 लाख करोड़ का अपना अब तक का सबसे अधिक कुल शुद्ध लाभ अर्जित करके एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि इस क्षेत्र में मजबूत बदलाव को दर्शाती है।
सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति, यानी जीएनपीए, अनुपात में भी भारी गिरावट आई है, जो सितंबर 2024 में 3.12 फीसदी तक गिर गई। निरंतर गति का प्रदर्शन करते हुए, उन्होंने 2024-25 की पहली छमाही में ₹85,5206,000 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया।
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अपने शानदार प्रदर्शन के अलावा, पीएसबी ने पिछले तीन वर्षों में ₹61,964 करोड़ का कुल लाभांश देकर शेयरधारकों के रिटर्न में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह उल्लेखनीय वित्तीय वृद्धि इस क्षेत्र की परिचालन दक्षता, बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता और मजबूत पूंजी आधार को रेखांकित करती है।
अपनी वित्तीय उपलब्धियों के अलावा, इन बैंकों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अटल पेंशन योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसी महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं को भी लागू किया है। इन प्रयासों ने सुनिश्चित किया है कि समाज के वंचित वर्गों तक महत्वपूर्ण लाभ पहुंचे। भारत सरकार ने इस क्षेत्र को सुधारों, कल्याणकारी उपायों और मजबूत नीतियों से बढ़ावा दिया है। इसने बैंकिंग प्रणाली को मजबूत किया है, और अधिक पारदर्शिता, स्थिरता और समावेशिता को बढ़ावा दिया है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सकल एनपीए अनुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो मार्च 2018 के 14.58 फीसदी से घटकर सितंबर 2024 में 3.12 फीसदी हो गया है। यह महत्वपूर्ण सुधार बैंकिंग प्रणाली के भीतर तनाव को दूर करने के उद्देश्य की सफलता को दर्शाता है।
वर्ष 2015 में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब भारतीय रिजर्व बैंक ने एसेट क्वालिटी रिव्यू की शुरुआत की। इस अभ्यास का उद्देश्य एनपीए की पारदर्शी पहचान को अनिवार्य करके बैंकों में छिपे तनाव की पहचान और उसका समाधान करना था। इसने पहले से पुनर्गठित ऋणों को भी एनपीए के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया, जिसके परिणामस्वरूप रिपोर्ट किए गए एनपीए में तीव्र वृद्धि हुई। इस अवधि के दौरान बढ़ी हुई प्रावधान आवश्यकताओं ने बैंकों के वित्तीय मापदंडों को प्रभावित किया, जिससे उनकी उधार देने और अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों का समर्थन करने की क्षमता सीमित हो गई।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बेहतर लचीलेपन का एक अन्य संकेतक उनका पूंजी-जोखिम परिसंपत्ति अनुपात यानी सीआरएआर है, जो 2014-15 की तुलना में 39 प्रतिशत बढ़ा है। सितंबर 2024 में आधार अंक 15.43 फीसदी हो गया, जो मार्च 2015 में 11.45 फीसदी था। यह पर्याप्त सुधार न केवल भारत के बैंकिंग क्षेत्र की नई स्थिरता और मजबूती को उजागर करता है, बल्कि पीएसबी को आर्थिक विकास को बेहतर ढंग से समर्थन देने की स्थिति में भी लाता है। उल्लेखनीय रूप से, यह सीआरएआर भारतीय रिजर्व बैंक की न्यूनतम आवश्यकता 11.5 फीसदी से कहीं अधिक है, जो इन संस्थानों की मजबूत वित्तीय सेहत को रेखांकित करता है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देशभर में अपनी पहुंच का विस्तार करते हुए वित्तीय समावेशन को और मजबूत बना रहे हैं। उनके मजबूत पूंजी आधार और बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता ने उन्हें स्वतंत्र रूप से बाजारों तक पहुंचने में सक्षम बनाया है, जिससे सरकारी पुनर्पूंजीकरण पर उनकी निर्भरता कम हुई है।
सरकार ने उन्नत पहुंच और सेवा उत्कृष्टता ढांचे के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई उपायों को लागू किया है। यह ढांचा विकासशील बैंकिंग पारिस्थितिकी तंत्र के साथ वृद्धिशील सुधारों की एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया बनाता है, जो शासन, विवेकपूर्ण ऋण, जोखिम प्रबंधन, प्रौद्योगिकी और डेटा-संचालित बैंकिंग और परिणाम-केंद्रित मानव संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करता है।
कुल मिलाकर, भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। बैंकों ने अभूतपूर्व वित्तीय उपलब्धियां हासिल की हैं और देश की आर्थिक स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में कमी और भारित जोखिम परिसंपत्तियो के लिए पूंजी अनुपात में सुधार इस क्षेत्र के लचीलेपन और जोखिम प्रबंधन की सुदृढ़ प्रथाओं को दर्शाता है। ढांचा सुधारों को संस्थागत बनाने, विवेकपूर्ण ऋण देने को बढ़ावा देने और बेहतर बैंकिंग सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में भी काफी महत्वपूर्ण काम हुआ है।
वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित करने से बैंकिंग तक पहुंच का विस्तार हुआ है। इससे लाखों लोगों को किफायती ऋण और बीमा से सशक्त बनाया गया है। मजबूत वित्तीय आधार और बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता के साथ, ये बैंक भारत के विकास एजेंडे का समर्थन करने और समावेशी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए अच्छी स्थिति में हैं।
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