संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं से चुनाव लड़ना सीखे विपक्ष

मध्य प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों ने न केवल भारतीय लोकतंत्र की व्याख्या की है वरन् सम्पूर्ण विश्व को भारतीय लोकतंत्र की दिशा व दशा से अवगत कराने में अहम भूमिका निभाई है। इन तीन प्रदेशों के चुनावों ने इस तथ्य को स्पष्ट कर दिया है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अन्तर्गत कैसे चुनाव लड़ना चाहिए और कैसे चुनाव जीता जा सकता है।

नेताओं की सभाओं, रोड शो, पद यात्राओं या सभाओं की खाली कुर्सियों से जनता के किसी भी पार्टी के प्रति रुझान का आंकलन नहीं किया जा सकता है। साथ ही, टीवी और सोशल मीडिया के विश्लेषणों से भी जनता के हृदय को नहीं पढ़ा जा सकता है।

वर्तमान समय में जैसे-जैसे शिक्षा का प्रसार होता जा रहा है, जनता को अपने मताधिकार की शक्ति का अहसास होता जा रहा है। वे अब इस तथ्य से भली भांति परिचित है कि किसको वोट देने से उनका हित हो सकता है। इसके चलते, चाहे नेताओं द्वारा दिए गए प्रलोभन हों अथवा चुनावी घोषणाएं..., जनता अब राजनीतिज्ञों की ईमानदारी का आंकलन करना अच्छी तरह से जान चुकी है।

तीनों प्रदेशों में चुनावी पराजय के पश्चात विपक्षी दलों ने अपनी हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ दिया। चुनाव आयोग के मुखिया राजीव कुमार की निष्पक्षता पर कभी शक नहीं किया जा सकता है। ईवीएम मशीनों से चुनावी परिणामों को प्रभावित किया जा सकता है या नहीं यह तो विशेषज्ञ ही स्पष्ट कर पाएंगे, परन्तु यह दृढ़ विश्वास है कि भारतीय चुनाव आयोग पर ईवीएम को लेकर किया जाना वाला दावा अभी तक कोई साबित नहीं कर पाया है।

यदि हम इतिहास पर दृष्टिपात करें तो टीएन शेषन सहित अधिकांश चुनाव आयोग प्रमुखों पर हारने वाले पक्ष द्वारा पक्षपात के आक्षेप निरन्तर लगाए जाते ही रहे हैं। यह बात अलग है कि धीरे-धीरे अब इन आरोपों की गंभीरता कम होती जा रही है।

जहां तक चुनावों में जीत की बात है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के पास निष्ठावान कार्यकर्ताओं का वृहद समूह है। इन्होंने तीनों प्रदेशों में चुनाव से पूर्व घर-घर जाकर एक-एक वोटर से सम्पर्क स्थापित किया और उनको भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में मोड़ा। उनके कार्यकर्ताओं का बूथ प्रबंधन प्रशंसनीय है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने तीनों प्रदेशों में अचम्भित करने वाला कार्य करके जनता का आशाीर्वाद प्राप्त किया है। साथ ही, विश्व को इस तथ्य से भी परिचित कराया है कि लोकतंत्र में चुनावों में प्रतिभाग करने का एक विशिष्ट तरीका है। यह अलग बात है कि विपक्षियों को यह समझ नहीं आ रहा है। हालांकि, दुनिया के सामने भाजपाई कार्यकर्ताओं ने बहुत सहजता के साथ लोकतंत्र की एक प्रभावी व्याख्या कर अचम्भित कर दिया है।

(लेखक आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। यहां व्यक्त विचार उनके स्वयं के हैं।)

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