वर्ष 1952 से शुरू हुआ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव,.यानी आईएफएफआई, वैश्विक फिल्म समुदाय के समक्ष सांस्कृतिक आदान-प्रदान के एक प्रतीक के रूप में विकसित हुआ है।
आईएफएफआई को प्रतिष्ठित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एफआईएपीएफ) द्वारा एक प्रतिष्ठित फीचर फिल्म फेस्टिवल के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो इसे कान, वेनिस और बर्लिन सहित दुनियाभर के 14 प्रशंसित समारोहों की विशेष लीग में रखता है।
Read in English: IFFI showcasing the best of Global Cinema
54वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की धारणा को और ज्यादा पुष्ट करते हुए सिनेमा की सार्वभौमिक भाषा के माध्यम से लोगों, संस्कृतियों, भाषाओं और विचारों को एक सामंजस्यपूर्ण तरीके से एकसाथ जोड़ता है।
यह वार्षिक समारोह लगातार विश्व और भारतीय सिनेमा दोनों में बेहतरीन कार्यों के लिए एक केंद्र रहा है, जो भारत के फिल्म उद्योग और वैश्विक फिल्म निर्माताओं के दिग्गजों को आकर्षित करता है।
'फेस्टिवल कैलिडोस्कोप' और 'सिनेमा ऑफ द वर्ल्ड' जैसे नए खंड विविध सौंदर्यशास्त्र और आख्यानों का एक कैनवास प्रदान करते हैं। 'फेस्टिवल कैलीडोस्कोप' में, आईएफएफआई दुनियाभर में प्रशंसित 19 विशिष्ट फिल्मों का प्रदर्शन करता है। 'सिनेमा ऑफ द वर्ल्ड' खंड में इस बार 103 फिल्मों का अनावरण किया जाएगा, जो विविध सौंदर्यशास्त्र और आख्यानों का एक चित्रण प्रदान करेगी। यह महोत्सव केवल मनोरंजन ही नहीं करता, बल्कि शिक्षा भी देता है, ज्ञानवर्धक वृत्तचित्र पेश करता है और एनीमेशन की कलात्मकता का जश्न मनाता है।
इस बार, आईएफएफआई में 105 देशों से कुल मिलाकर 2,962 प्रविष्टियों के साथ आवेदनों में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। यह चौंका देने वाला आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना वृद्धि दर्शाता है, जो उत्सव के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय कद को रेखांकित करता है। आईएफएफआई 13 विश्व प्रीमियर, 18 अंतर्राष्ट्रीय प्रीमियर और 62 एशिया प्रीमियर सहित 198 अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों को प्रदर्शित करके विविधता में एकता को बढ़ावा दे रहा है, जो एक छत्र के नीचे अभूतपूर्व शुरुआत और क्षेत्रीय कथाओं को दर्शाता है।
इस वर्ष के भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दुनिया के हर कोने से फिल्मों, घटनाओं, लोगों और कहानियों की एक विविध श्रृंखला प्रदर्शित की गई है। फेस्टिवल की शुरुआत ब्रिटिश फिल्म निर्माता स्टुअर्ट गैट द्वारा निर्देशित ‘कैचिंग डस्ट’ से हुई। फेस्टिवल के मध्य में तुर्की फिल्म ‘अबाउट ड्राई ग्रासेज’ का भारतीय प्रीमियर होगा। यह आयोजन फिल्म ‘द फेदर वेट’ के प्रदर्शन के साथ समाप्त होगा।
संक्षेप में कहें तो आईएफएफआई सिर्फ सिनेमा का उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जो सीमाओं, भाषाओं और संस्कृतियों को पार कर सिनेमा की सार्वभौमिक भाषा के माध्यम से वैश्विक एकता को बढ़ावा देता है।
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