नोबेल विद्वान ने की ‘आधार’ प्रणाली की तारीफें

साल 2018 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल रोमर ने भारत की आधार प्रणाली की प्रशंसा की है। उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी नवाचारों में से एक बताया। उन्होंने विस्तार से बताया है कि कैसे आधार ने प्रत्यक्ष हस्तांतरण जैसे सरकारी लाभ प्रदान करने के लिए एक मजबूत नींव रखी और देशभर में लाखों लोगों के लिए सार्वजनिक सेवाओं को अधिक सुलभ बनाया।

रोमर की टिप्पणी ने अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि भारत की तकनीकी प्रगति अन्य देशों को हाशिए पर रहने वाली आबादी तक पहुंचने के लिए समान दृष्टिकोण पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।

अंग्रेजी में पढ़ें : Nobel laureate praises Aadhaar, A unique identity for people…

आधार ने कल्याणकारी योजनाओं के वितरण को सुव्यवस्थित करके, धोखाधड़ी को समाप्त करके और नागरिकों को एक विश्वसनीय और पोर्टेबल पहचान के साथ सशक्त बनाकर जीवन को बदल दिया है। इस प्रकार आधार ने अधिक से अधिक सामाजिक समावेश और आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा दिया है।

भारत में आधार नंबर लोगों की विशिष्ट पहचान है। इसे कभी भी और कहीं से भी प्रमाणित किया जा सकता है, जो इसे एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ सशक्त बनाता है।

भारत की 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या आधार ने साल 2009 में अपनी स्थापना के बाद से पहचान सत्यापन और सेवा वितरण के लिए देश के दृष्टिकोण को नया रूप दिया है। इस कार्यक्रम को न्यूनतम जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग करके प्रत्येक निवासी को एक विश्वसनीय, डिजिटल रूप से सत्यापन योग्य पहचान देने के मिशन के साथ शुरू किया गया था। आधार का मजबूत प्रमाणीकरण ढांचा डुप्लीकेट और नकली पहचान को समाप्त करके पहचान से संबंधित धोखाधड़ी और अन्य समस्याओं का समाधान करता है। यह महत्वाकांक्षी पहल दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल पहचान कार्यक्रम के रूप में विकसित हुई है, जो कभी भी, कहीं भी प्रमाणीकरण को सक्षम बनाती है। इसके अलावा इस पहल से सेवा, लाभ और सब्सिडी का पारदर्शी तरीके से वितरण की सुविधा प्रदान की जाती है।

आधार जारी करने की देखरेख के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी यूआईडीएआई की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है। साल 2016 में यूआईडीएआई ने आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम-2016 के तहत वैधानिक दर्जा प्राप्त किया, जिससे देश के शासन व्यवस्था में इसकी भूमिका और मजबूत हुई। पिछले कुछ वर्षों में आधार की पहुंच में काफी विस्तार हुआ है और अब तक 138.04 करोड़ आधार संख्याएं सृजित की गई हैं। यह सिर्फ एक पहचान का साधन ही नहीं है बल्कि से इससे अधिक बन गया है। इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि संसाधनों का आवंटन समाज के सदस्यों के बीच उचित और बेहतर तरीके से किया जाए। आधार सरकारी प्रक्रियाओं में विश्वास बढ़ाता है और आवश्यक सेवाओं तक पहुंच को सरल बनाकर लाखों लोगों को सशक्त बनाता है। आज आधार भारत के डिजिटल और सामाजिक बुनियादी ढांचे की आधारशिला के रूप में खड़ा है। दुनिया में लगभग हर छठे व्यक्ति के पास यह विशिष्ट पहचान है, जो समाज पर इसके परिवर्तनकारी प्रभाव का प्रतीक है।

आधार एक भरोसेमंद एकीकृत पहचान सत्यापन प्रणाली की पेशकश करके सामाजिक कल्याण योजनाओं की कार्य क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो सेवा वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। साल 2013 में शुरू किए गए आधार से जुड़े प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से नकद लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किए जाते हैं। इस कार्यप्रणाली के द्वारा दस्तावेजों की आवश्यकता कम हो जाती है और डुप्लीकेट और नकली या अस्तित्वहीन लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें हटा दिया जाता है।

प्रधानमंत्री जन धन योजना ने वित्तीय समावेशन को और बढ़ावा दिया। 523 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले। समाज में हाशिए पर रहने वाले वर्गों को औपचारिक रूप से वित्तीय व्यवस्था में लाया गया। इस आधार-संचालित दृष्टिकोण ने न केवल लोगों को सशक्त बनाया है बल्कि कई सरकारी मंत्रालयों और विभागों में लाखों फर्जी और अयोग्य लाभार्थियों को हटाकर डेटाबेस को साफ करके सार्वजनिक खजाने के लिए महत्वपूर्ण बचत भी की है। उदाहरण के तौर पर आधार-संचालित डीबीटी ने 4.15 करोड़ से अधिक फर्जी एलपीजी कनेक्शन और 5.03 करोड़ डुप्लीकेट राशन कार्डों को खत्म कर दिया है। इससे रसोई गैस और खाद्य सब्सिडी जैसी आवश्यक सेवाओं का वितरण सुव्यवस्थित हो गया है।

आधार हाशिए पर पड़े समाज की सहायता करने का एक शक्तिशाली साधन रहा है। जेएएम ट्रिनिटी यानी जन धन-आधार-मोबाइल और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से आधार को कल्याणकारी कार्यक्रमों और सेवाओं से जोड़कर लाखों वंचित व्यक्तियों को अब सीधे सब्सिडी और लाभ प्राप्त होते हैं। बिचौलियों को खत्म करने और धोखाधड़ी को कम करने पर काम किया गया है। आधार के साथ-साथ प्रधानमंत्री जन धन योजना के शुभारंभ ने 52.3 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोलने का मार्ग प्रशस्त किया है, जो औपचारिक वित्तीय व्यवस्था में एकीकृत है।

दस साल बाद आधार लगभग हर भारतीय के जीवन में शामिल हो गया है। कोविड-19 के बाद के संकट से पता चला है कि यह आर्थिक रूप से कमजोर और समाज में हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए एक जीवन रेखा बन गया है। 80 फीसदी लाभार्थियों का मानना है कि इसने विभिन्न योजनाओं के तहत सेवा वितरण को सुचारू और पारदर्शी बना दिया है। इसने भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को गति दी है। जुलाई 2023 के अंत तक 788 मिलियन से अधिक आधार को एनपीसीआई मैपर पर बैंक खातों के साथ विशिष्ट रूप से जोड़ा गया है। आधार के माध्यम से धोखाधड़ी में कमी ने यह सुनिश्चित किया है कि लाभ उन लोगों को मिले जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है। इस तरह से समाज में आर्थिक रूप से सबसे कमजोर वर्ग सशक्त हुआ है।

एक विशिष्ट पहचान कराने वाले के रूप में आधार की भूमिका ने सेवा वितरण को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाकर लोगों को सशक्त बनाया है। इसकी प्रमाणीकरण व्यवस्था से नागरिक अपनी पहचान ऑनलाइन सत्यापित कर सकते हैं, जिससे कई दस्तावेजों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। इसके अलावा ई-केवाईसी, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और डिजिटल भुगतान जैसी सेवाओं तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित होती है।

आधार-सक्षम भुगतान व्यवस्था सहित आधार के डिजिटल बुनियादी ढांचे ने दूरदराज के क्षेत्रों में डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं की सुविधा प्रदान की है। इसके जरिए लोग केवल अपने आधार संख्या का उपयोग करके नकदी निकाल सकते हैं, धन हस्तांतरित कर सकते हैं और अन्य बुनियादी लेनदेन कर सकते हैं।

इसने न केवल लोगों को सशक्त बनाया है बल्कि वित्तीय सेवाओं को सभी के लिए सुलभ बना दिया है। इससे डिजिटल विभाजन यानी जिनके पास आधुनिक सूचना व संचार प्रौद्योगिकी तक पहुंच है और जिनके पास पहुंच नहीं है उनके बीच के अंतर को कम कर दिया है। आधार केवल आवश्यक जानकारी नाम, पता, जन्मतिथि, लिंग और बायोमेट्रिक्स एकत्र करने के सिद्धांत पर काम करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि एक मजबूत आईडी बनाते समय गोपनीयता का सम्मान किया जाता है। यह न्यूनतम दृष्टिकोण पारदर्शिता और शासन में विश्वास का समर्थन करता है, व्यक्तिगत डेटा पर अतिक्रमण किए बिना प्रभावी सेवा वितरण सुनिश्चित करता है।

आधार-सक्षम प्रत्यक्ष लाभ अंतरण ने पारदर्शिता बढ़ाकर और सेवाओं के कुशल वितरण को सुनिश्चित करके भारत के कल्याणकारी परिदृश्य को काफी बदल दिया है। लीकेज को कम करके और सामाजिक समानता को बढ़ावा देकर आधार ने बेहतर लक्षित सब्सिडी और वित्तीय समावेश में वृद्धि के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। आधार 1.4 बिलियन लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है और प्रतिदिन 80 मिलियन से अधिक लेनदेन की सुविधा प्रदान कर रहा है। यह शासन और सेवा वितरण में नए मानक स्थापित कर रहा है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि न केवल भारत के डिजिटल प्रशासन एजेंडे को आगे बढ़ाने में आधार की सफलता को रेखांकित करती है बल्कि इसे अन्य देशों के लिए प्रभावी कल्याण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए एक अग्रणी उदाहरण के रूप में भी पेश करती है।

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