सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को रोकना बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि अब यह इंसान के सामने आने वाली बेहद विनाशकारी समस्या के रूप में साबित हो चुका है। तमाम लोग इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इन्हीं में से एक एनएस राजप्पन हैं जो दिव्यांग होने के बावजूद हर रोज नाव में बैठकर झील में जाते हैं और वहां से प्लास्टिक को निकालकर बाहर फेंकते हैं।
उम्र के जिस दौर में लोग जीवन की जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने की बातें करने लगते हैं तब इस बुजुर्ग ने प्रकृति के लिए काम करना शुरू किया। वह हर दिन झील पर जाते हैं और झील की सफाई करते हैं। राजप्पन चलने में असमर्थ हैं, लेकिन इससे स्वच्छता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता प्रभावित नहीं होती है। पिछले छह वर्षों से वह अपनी नाव वेम्बनाड झील में उतार रहे हैं और पानी में फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलों और झील में फेंके गए कचरे को बाहर निकाल रहे हैं।
वेम्बनाड झील की सुंदरता दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। राजप्पन की अथक मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि झील आज स्वच्छता की बानगी बन चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में राजप्पन के काम और स्वच्छता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना कर चुके हैं।
राजप्पन के घुटने से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है जिसके कारण वह चल नहीं पाते हैं। बावजूद इसके वह अपने हाथ के सहारे आगे बढ़ते हैं और झील से कचरा बाहर निकालते हैं। अपनी दिव्यांगता के बावजूद प्रतिदिन वेम्बनाड झील से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने वाले एनएस राजप्पन आज अन्य लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बन गए हैं।
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