यूं सफल हुआ बालाकोट में 'ऑपरेशन बंदर'...

साल 2019 में 26 फरवरी को हुए बालाकोट एयर स्ट्राइक को भला कौन भूल सकता है! जब भारतीय वायुसेना ने दुश्मन के घर में घुसकर आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। पाकिस्तान के बालाकोट में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के दहशतगर्दों के कैंप पर एयर स्ट्राइक करके ‘न्यू इंडिया’ ने साबित कर दिया था कि ‘छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं’।

ध्यान रहे, इससे पहले, 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ के 78 वाहनों का काफिला करीब ढाई हजार जवानों को लेकर जम्मू से श्रीनगर जा रहा था। काफिला अवंतीपोरा के पास नेशनल हाईवे 44 से गुजर रहा था। पुलवामा के पास दोपहर के वक्त विस्फोटकों से भरी एक गाड़ी काफिले में जा घुसी और भयंकर धमाका हुआ। एक पल में चारो तरफ शवों का ढेर और खून फैल गया। इस धमाके में 40 जवान शहीद हुए।

कश्मीर में जवानों पर हुआ तीन दशक का यह सबसे बड़ा हमला था। मौत से गमजदां और जैश व पाकिस्तान में उसके आकाओं के दु:स्साहस से देश गुस्से से भरा हुआ था। राजनीतिक नेतृत्व के सामने यह स्पष्ट था कि पाकिस्तान दशकों से जो अपनी परमाणु ताकत का हौवा दिखाता रहा है, इसे सबक सिखाना अब बेहद जरूरी हो चला है। अब मकसद साफ था कि भारत का जवाब उसी अनुपात में होना चाहिए।

अब सवाल यह था कि हमला कहां किया जाए। खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान में चल रहे करीब 15 स्थानों को खंगाला जहां आतंकियों के शिविर होने की खबर थी। चूंकि, पुलवामा हमले में जैश-ए-मोहम्मद शामिल था, इसलिए यह तय किया गया कि उसी के शिविर को निशाना बनाया जाना चाहिए। सोच यह भी थी कि इस हमले में आम लोगों को नुकसान न पहुंचे। इस तरह बालाकोट में जैश के कैंप को सही निशाने के रूप में चुना गया और उसके बाद ‘ऑपरेशन बंदर’ की तैयारी शुरू हुई।

उस कैंप पर भारतीय खुफिया एजेंसियों की वर्षों से नजर थी। जैश के उस कैंप पर हमले के वक्त वहां कई सौ आतंकी मौजूद थे। इसकी पक्की जानकारी भारतीय खुफिया एजेंसियों को थी। यह जानकारी जब वायुसेना को दी गई और ‘टारगेट’ बताया गया तो इसे एक सही लक्ष्य के रूप में स्वीकार किया गया।

वायुसेना को बालाकोट में जैश के कैंप की हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के साथ कई बारीक जानकारियां दी गई थीं, जो हमले के दौरान पायलटों के लिए अहम साबित हुईं। बालाकोट में तड़के करीब 3 बजे स्ट्राइक का वक्त का चुना गया, क्योंकि तब लोग गहरी नींद में सो रहे थे।

स्ट्राइक दर्जनभर मिराज-2000 विमानों को करनी थी, जिनमें इजरायल में निर्मित स्पाइस बम लगे हुए थे, जो गाइडेड सिस्टम से निशाने पर सटीक वार कर सकते थे। इसके अलावा दो टोही विमान इजरायली फाल्कन एयरबॉर्न एंड कंट्रोल सिस्टम और नेत्र भी अपनी भूमिका निभा रहे थे।

26 फरवरी 2019 को कुछ नीचे उड़ान भरने वाला मिराज-2000 का बेड़ा बालाकोट की तरफ बढ़ा। जब तक पाकिस्तानी रडार पर वे दिखते तब तक मिराज विमानों ने कैंप के निशाने को पहचाना और स्पाइस बम दाग दिए। भारतीय जेट विमानों को सिर्फ चार मिनट लगे और वे ‘ऑपरेशन बंदर’ को पूरा कर वापस लौट आए।

इस एयर स्ट्राइक के बाद भारत की आतंकवाद के खिलाफ बदली रणनीति पूरी दुनिया के सामने आ गई कि अगर कोई भी आतंकवादी भारत के खिलाफ देश के किसी भी हिस्से में आतंकी हमला करता है तो भारत भी दुनिया के किसी भी हिस्से में उसे नेस्तनाबूद करने की ताकत रखता है।

Related Items

  1. सशक्त नहीं, कमजोर बना रहा है सोशल मीडिया

  1. पहलगाम हमला सिर्फ़ ‘शोक’ नहीं…, अब हक़ीक़त का सामना भी ज़रूरी…!

  1. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान ही नहीं, चीन को भी मिले हैं ‘घाव’!



Mediabharti