‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान ही नहीं, चीन को भी मिले हैं ‘घाव’!

 

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि चीन भी घोर निराशा के दलदल में जा फंसा है। इसका प्रमुख कारण पाकिस्तान द्वारा उपयोग में लाए गए चीनी हथियारों की विफलता रहा। ध्यान रहे, पाकिस्तान अपने अधिकतर हथियार चीन से ही आयात करता है।

चीन से आयातित इन हथियारों का परीक्षण इस दौरान होना था। कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा इन हथियारों को चलाने में अक्षम होने पर चीन ने ऑपरेशन के तीसरे दिन अपने विशेषज्ञों को पाकिस्तान भेजा भी था, लेकिन तब तक भारत ने ऑपरेशन को ‘अस्थायी’ रूप से ‘धीमा’ कर दिया। इस अन्तराल में ही भारत के रक्षा विशेषज्ञों को चीनी हथियारों की मारक क्षमता का पता चल चुका था और उन्होंने उसी के अनुरूप भविष्य में अपने रक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने का निश्चय भी कर लिया।

चीनी उपग्रहों ने इस ऑपरेशन से संबंधित कुछ फोटो जारी किए हैं, जिनसे ज्ञात होता है कि भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने अपनी मिसाइलों द्वारा पाकिस्तान के सबसे बड़े हवाई अड्डे नूर खान तथा उसके आस-पास की पहाड़ियों पर भी अचूक हमले किए। कहा जा रहा है कि यहां पाकिस्तान ने अपने परमाणु अस्त्रों को पहाड़ों की गहरी गुफाओं में छुपा रखा है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि इसके कारण वहां परमाणु विकिरण शुरू हो गया। ऐसे भी समाचार प्राप्त हुए हैं कि इस घटना से सर्वाधिक चिंता अमेरिकी वैज्ञानिकों एवं सेनाओं को हुई। उन्होंने इस विकिरण को रोकने के लिए तथा ‘अपने’ परमाणु बमों को सुरक्षित करने के लिए अपने यान    बी-350 एएमएस को भेजा। मिस्र ने भी अपना एक सुपर यान बोरोन के साथ भेजा, जो कि ऐसे मामलों में रेडियाधर्मिता को नियंत्रित करता है।

यदि इन तथ्यों को सच मानें तो यह प्रमाणित होता है कि पाकिस्तान, जो स्वयं को परमाणु सम्पन्न देश कहता है, वह मात्र एक भ्रम है। इसके पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अति-सक्रियता’ से भी कई संदेह पैदा होते हैं। ट्रंप ने ‘सीजफायर’ के भरसक प्रयास किए।

चीन ने इस दौरान पाकिस्तान का पूर्ण सहयोग किया। चीन एक विस्तारवारदी प्रवृत्ति का देश है और उसकी वर्षों से भारत के लद्दाख व पूर्वोत्तर प्रदेशों पर गिद्ध-दृष्टि लगी है। बांग्लादेश में भी उसने अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। इस ऑपरेशन के दौरान भी चीन अपनी इच्छाओं की पूर्ति में लगा था, परन्तु वह असफल रहा। इस कारण वह बेहद निराश भी है।

भारत के रक्षा नीतिकारों को भविष्य में चीन के विस्तारवादी रुख से और अधिक सतर्क रहना होगा, क्योंकि निकट भविष्य में चीन बांग्लादेश को मोहरा बनाकर भारत पर तीनों ओर से युद्ध की योजना बनाकर आक्रमण कर सकता है। इस रणनीति को सफल बनाने के लिए चीन ने एक ओर पाकिस्तान को अपने अत्याधुनिक विमानों को बेहद आसान शर्तों पर देने का समझौता किया है। इन्हें वह इसी साल अगस्त महीने तक पाकिस्तान के सुपुर्द कर देगा।

दूसरी ओर, लद्दाख और भारत के पूर्वोत्तर भाग पर भी चीन ने अपना आधिपत्य स्थापित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। बांग्लादेश में चीन ने भारत की सीमाओं के निकट हवाई अड्डों का निर्माण करना शुरू कर दिया है। इन रणनीतियों के माध्यम से चीन का एकमात्र लक्ष्य भारत को तीनों ओर से घेरना है।

इसलिए, भारत को चीन की इन कुटिल नीतियों के प्रति सचेत रहना होगा और अपने रक्षातंत्र को इतना सशक्त करना होगा कि जब चीन, तीनों तरफ से आक्रमण करने की सोचे भी तो हमारे भारतीय सैनिक उसका सामना पूरी शक्ति व आत्मविश्वास के साथ कर सकें। भविष्य में चीन जैसे महत्वाकांक्षी तथा शक्तिशाली देश से झड़पें होना संभाव्य है। अतः भारत को एक संगठित देश के रूप में स्वयं को तैयार करना होगा और आने वाली विभीषिकायों पर विजय प्राप्त करनी होगी।

(लेखक आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं और यहां व्यक्त विचार उनके स्वयं के हैं।)

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