स्थायी खाता संख्या, यानी पैन, लंबे समय से भारत की वित्तीय और प्रशासनिक प्रणालियों की आधारशिला रही है। यह वित्तीय पारदर्शिता और अनुपालन को बढ़ावा देते हुए लोगों और व्यवसायों को महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों से जोड़ती है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख प्रवर्तक के रूप में, पैन आवश्यक सेवाओं के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य कर रहा है। इससे यह दैनिक जीवन में बहुत जरूरी हो गया है। इसे और बेहतर बनाने तथा तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बिठाने के लिए, कैबिनेट ने हाल ही में पैन 2.0 को मंजूरी दी है। माना जा रहा है कि यह भारत के विकसित हो रहे डिजिटल और वित्तीय परिदृश्य में पैन की सेवा करने के तरीके को फिर से परिभाषित करने की दिशा आगे बढ़ाया गया एक कदम है।
पैन 2.0 परियोजना उन्नत ई-गवर्नेंस के माध्यम से करदाता पंजीकरण को आधुनिक बनाने की एक बदलावकारी पहल है। करीब 1,435 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ, यह निर्बाध डिजिटल अनुभव प्रदान करने के लिए पैन व टैन सेवा को फिर से तैयार करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य पैन और टैन जारी और प्रबंधित करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित व आधुनिक बनाना है।
पैन 2.0 का उद्देश्य सभी पैन व टैन सेवाओं को एक पोर्टल में एकीकृत करके मौजूदा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। इससे निर्बाध और कागज रहित प्रक्रिया सुनिश्चित हो सकेगी। निःशुल्क ई-पैन सेवाएं और सरलीकृत अपडेट करदाताओं के लिए सुविधा बढ़ाएंगे।
पैन से संबंधित सेवाएं वर्तमान में तीन अलग-अलग पोर्टल, ई-फाइलिंग पोर्टल, यूटीआईआईटीएसएल पोर्टल और प्रोटीन ई-गवर्नेंस पोर्टल पर होस्ट की जा रही हैं। पैन 2.0 परियोजना में, सभी संबंधित सेवाएं आयकर विभाग के एक एकीकृत पोर्टल पर होस्ट की जाएंगी। उक्त पोर्टल पैन और टैन से संबंधित सभी सेवाओं जैसे आवंटन, अद्यतन, सुधार, ऑनलाइन पैन सत्यापन, आधार-पैन लिंकिंग, ई-पैन अनुरोध तथा पैन कार्ड के पुनः प्रिंट जैसे अनुरोध की सेवा प्रदान करेगा।
पैन का आवंटन, अद्यतन और सुधार निःशुल्क किया जाएगा तथा ई-पैन पंजीकृत मेल आईडी पर भेजा जाएगा। भौतिक पैन कार्ड के लिए, आवेदक को 50 रुपये के निर्धारित शुल्क के साथ अनुरोध करना होगा। भारत के बाहर कार्ड की डिलीवरी के लिए, आवेदक से 15 रुपये + वास्तविक भारतीय डाक शुल्क लिया जाएगा।
मौजूदा पैन कार्डधारकों को अपग्रेडेड सिस्टम के तहत नए पैन के लिए आवेदन करने की ज़रूरत नहीं है। मौजूदा वैध पैन कार्ड, पैन 2.0 के तहत तब तक पूरी तरह से पहले की तरह काम करेंगे, जब तक कि धारक अपडेट या सुधार का अनुरोध न करें। जब तक अपडेट या सुधार के लिए कोई विशिष्ट अनुरोध न किया जाए, तब तक कोई नया पैन कार्ड जारी नहीं किया जाएगा।
पैन 2.0 के तहत, इसे पैन डेटाबेस से नवीनतम डेटा प्रदर्शित करने वाले डायनेमिक क्यूआर कोड के साथ बढ़ाया जाएगा। जिन पुराने पैन कार्डों में क्यूआर कोड नहीं है, वे धारक वर्तमान पैन 1.0 प्रणाली और उन्नत पैन 2.0 दोनों के अंतर्गत क्यूआर कोड वाले नए कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। क्यूआर कोड पैन विवरण के सत्यापन की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे प्रामाणिकता सुनिश्चित होती है। विवरण सत्यापित करने के लिए एक समर्पित क्यूआर रीडर एप्लिकेशन उपलब्ध है। स्कैन करने पर, यह धारक की फोटो, हस्ताक्षर, नाम, माता-पिता के नाम और जन्म तिथि प्रदर्शित करता है।
पैन 2.0 परियोजना सहज डिजिटल प्रक्रियाओं और मजबूत डेटा सुरक्षा के साथ करदाता पंजीकरण को बढ़ाने के लिए वैश्विक मानकों को अपनाती है। यह गुणवत्ता, सुरक्षा और सेवा प्रबंधन (जैसे, ISO 27001, ISO 9001) के लिए प्रमुख ISO प्रमाणपत्रों के अनुपालन को सुनिश्चित करता है। यह परियोजना सरलीकृत ऑनलाइन प्रक्रियाओं, न्यूनतम दस्तावेज़ीकरण और केंद्रीकृत डेटाबेस के साथ पंजीकरण को सुव्यवस्थित करती है, मजबूत सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम से डेटा की सुरक्षा करते हुए उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर करेगी।
पैन 2.0, साल 1972 में स्थायी खाता संख्या की शुरुआत के बाद से दशकों के विकास पर आधारित है। एक अद्वितीय 10-अंकीय अल्फ़ान्यूमेरिक यूजर्स के रूप में डिज़ाइन किया गया, पैन किसी व्यक्ति या संस्था के वित्तीय लेन-देन, जैसे कर भुगतान, टीडीएस-टीसीएस क्रेडिट और आय रिटर्न को आयकर विभाग से जोड़ता है। इन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाकर, पैन 2.0 का उद्देश्य दक्षता, सुरक्षा और पहुंच में आसानी को बेहतर करना और एक मजबूत डिजिटल ढांचा सुनिश्चित करना है जो अनुपालन को सरल बनाता है और वित्तीय पारदर्शिता को मजबूत करता है।
पैन 2.0 परियोजना भारत की कर प्रणाली को उन्नत डिजिटल प्रक्रियाओं, सुरक्षा और अधिक लोगों तक पहुंच बनाने के साथ आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। प्रत्यक्ष वितरण मॉडल में बदलाव और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को एकीकृत करके, यह करदाताओं के लिए अधिक सुव्यवस्थित और कुशल अनुभव का वादा करता है। यह पहल न केवल सेवाओं को सरल बनाती है बल्कि डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता भी सुनिश्चित करती है, जिससे बेहतर कर अनुपालन और शासन को बढ़ावा मिलता है।
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