आगरा के ताज व्यू अपार्टमेंट्स में रहने वाली गृहणी पद्मिनी दीवाली की तैयारियों में व्यस्त थीं। ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से तंग आकर उन्होंने देर शाम एक ऑनलाइन दीवाली डील देखी और ‘अभी ऑर्डर करें’ पर क्लिक कर दिया। उन्हें क्या पता था कि वह भारत के रिटेल की नई कहानी का हिस्सा बन रही थीं! कुछ ही मिनटों में, फूल, दीये, लाइट्स, फल, और मिठाइयां, सब कुछ पैक होकर उनके घर पहुंच गया। एक युवा बाइक राइडर लाया सामान, और यूपीआई से पेमेंट लेकर चला गया।
दूसरी तरफ, शहर के कोने में उनके बड़े ताऊ जी, जो एक जनरल स्टोर चलाते हैं, अपनी दुकान पर ग्राहकों की भीड़ संभाल रहे थे। दो पीढ़ियां, एक त्योहार, और एक साफ बात, भारत का त्योहारी व्यापार अब डिजिटल ताल पर थिरक रहा है।
Read in English: India, from crowded bazaars to digital browsers…
सचमुच, यह तो जैसे जादू सा है! पहले व्यापारी ऑनलाइन दुकानों से घबराते थे, लेकिन इस बार दीवाली ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 2025 के त्योहारी सीजन में 6.05 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ, पिछले साल से 25 फीसदी ज़्यादा! इसमें 5.4 लाख करोड़ का सामान था और 65,000 करोड़ की सेवाएं। लेकिन, इस धमाकेदार बिक्री के पीछे न सोना था, न गैजेट्स, बल्कि वह डिजिटल ताकत थी, जो भारत के हर गली-नुक्कड़ तक रिटेल को ले जा रही थी।
पहले तो पारंपरिक बाज़ार और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को दुश्मन समझा जाता था। लेकिन अब? दोनों मिलकर एक नया तमाशा रच रहे हैं, धूल भरे बाज़ारों से लेकर चमचमाती स्मार्टफोन स्क्रीनों तक। फ्लैश सेल, कैशबैक का लालच, और पंसारी, दवा, किराना दुकानों का डिजिटल दुनिया में कदम, त्योहारी जोश अब इंटरनेट की लाइनों और सैटेलाइट की लहरों में उतना ही बह रहा है, जितना बाज़ारों की रौनक में। बड़े भैया देवाशीष कहते हैं, "सिर्फ दारू की होम डिलीवरी का इंतज़ार है। कंडोम, सेनेटरी नेपकिन, जो पहले, हिचक से खरीदे जाते थे, अब घर पर ही आ रहे हैं।"
रेडसीअर के आंकड़े बताते हैं कि इस त्योहारी महीने में ई-कॉमर्स की बिक्री 1.15 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई, जो पिछले साल से 25 फीसदी ज़्यादा है। और यह ऑनलाइन बिक्री ऑफलाइन दुकानों को नुकसान नहीं पहुंचा रही, बल्कि छोटे शहरों, टियर-2 और टियर-3 कस्बों में खरीदारी को और बढ़ा रही है, जो अब पूरी तरह डिजिटल दुनिया से जुड़ चुके हैं।
लोगों को लगता था कि ऑनलाइन व्यापार बाज़ारों को खा जाएगा, लेकिन अब सच्चाई बिल्कुल उलट है। साल 2024 में ई-रिटेल की बिक्री करीब 60 बिलियन डॉलर थी और यह हर साल 18 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है। फ्लिपकार्ट, अमेज़न, मीशो, और जियोमार्ट ने इस दीवाली को एक डिजिटल मेला बना दिया। जम्मू से मैसूर तक, लोग अपने फोन पर किफायती डील ढूंढ रहे थे। क्विक-कॉमर्स ने डिलीवरी का समय 15 फीसदी तक कम कर दिया है। त्योहारी सामान, गिफ्ट हैम्पर, और इलेक्ट्रॉनिक्स बस पलक झपकते ही पहुंच रहे थे। यह डिजिटल धमाल पारंपरिक दुकानों को कमज़ोर नहीं कर रहा था, बल्कि उनकी रौनक को और बढ़ा रहा था, जिससे सड़कों और शोरूम्स तक खरीदारी की लहर फैल गई।
लेकिन बाज़ारों की वह पुरानी रौनक? वह तो अब भी बरकरार है! दिल्ली के चांदनी चौक से लेकर आगरा, जयपुर, दिल्ली, और हैदराबाद के व्यापारियों ने मीडिया को बताया कि इस साल ग्राहकों की भीड़ कई सालों में सबसे ज़्यादा थी। कपड़े 25 फीसदी, गहने 30 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक्स 20 फीसदी, और रोज़मर्रा का सामान 15 फीसदी ज़्यादा बिका। जीएसटी में राहत और बढ़ती कमाई ने माहौल को और रंगीन किया है। लेकिन, इस बार डिजिटल ताकत ने चुपके से बड़ा रोल निभाया। छोटे दुकानदार व्हाट्सएप पर कैटलॉग भेज रहे थे, यूपीआई से पैसे ले रहे थे, और ऑनलाइन डिलीवरी ऐप से ऑर्डर मैनेज कर रहे थे।
कोरियर कंपनी संचालक गुप्ताजी कहते हैं, इस डिजिटल त्योहार को सपोर्ट करने वाला लॉजिस्टिक नेटवर्क भी कमाल का था। लाखों गिग वर्कर्स, डिलीवरी ब्वॉय, वेयरहाउस पैकर्स, और ट्रांसपोर्ट हैंडलर, त्योहार की असली जान बने। अनुमान है कि 50 लाख से ज़्यादा अस्थायी नौकरियां बनीं। इन नौकरियों ने कई लोगों को सीज़न के बीच कमाई का सहारा दिया और शहरों में नए मौके दिए। बड़ी संख्या में छात्रों को पार्ट टाइम जॉब मिले।
और सबसे मज़ेदार बात? अब विरोध नहीं, बल्कि हाइब्रिड मोड में साथ चलने का ज़माना है। हलवाई, मिठाई की दुकानें, और किराना स्टोर अब ई-कॉमर्स के साथ हाथ मिला रहे हैं। वे डिजिटल इन्वेंट्री और लोकल डिलीवरी का फायदा उठा रहे हैं।
नोएडा के ट्रेडर रवि चंद्र बताते हैं कि अब जब देश शादी के बड़े सीजन में कदम रख रहा है, जिसमें छह लाख करोड़ रुपये का व्यापार होने की उम्मीद है, एक बात तो साफ है कि ऑनलाइन व्यापार बाज़ारों को मिटा नहीं रहा, बल्कि उन्हें नया रंग दे रहा है। डिजिटल मार्केटप्लेस, जिससे कभी डर लगता था, अब वह इंजन बन गया है जो त्योहारी खुशहाली को बढ़ा रहा है, लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी को जोड़ रहा है, और उत्सव को व्यापार और कनेक्शन का एक ज़बर्दस्त हाइब्रिड मेल बना रहा है।
सच में, आज के भारत में, दीवाली के दीयों की रौशनी सिर्फ घरों और गलियों में ही नहीं जल रही, बल्कि लाखों स्क्रीनों पर भी चमक रही है, जो भारत की सबसे ताकतवर रिटेल कहानी को और रौशन कर रही है।






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