भारत और यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन, यानी ईएफटीए, ने 10 मार्च को एक व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी, यानी टीईपीए, समझौते पर हस्ताक्षर किए। ईएफटीए अपने चार सदस्य देशों के लाभ के लिए मुक्त व्यापार एवं आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए 1960 में गठित एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसमें स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन जैसे देश शामिल हैं।
भारत पूर्व में भी ईएफटीए देशों के साथ व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौते पर छिटपुट काम करता रहा है। लेकिन, अब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ईएफटीए देशों के साथ टीईपीए पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है।
Read in English: TEPA, a modern and ambitious Trade Agreement with EFTA
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल बताते हैं कि टीईपीए एक आधुनिक और महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता है। पहली बार, भारत चार विकसित देशों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर कर रहा है। यह समझौता ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देगा तथा युवा एवं प्रतिभाशाली श्रम बल को नए अवसर प्रदान करेगा। यह एफटीए बड़े यूरोपीय तथा वैश्विक बाजारों तक भारतीय निर्यातकों को पहुंच प्रदान करेगा।
इस समझौते में 14 अध्याय शामिल हैं, जिसमें मुख्य फोकस वस्तुओं से संबंधित बाजार पहुंच, उद्भव के नियमों, व्यापार सुगमीकरण, व्यापार उपचारों, स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता उपायों, व्यापार से संबंधित तकनीकी बाधाओं, निवेश संवर्धन, सेवाओं पर बाजार पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकारों, व्यापार एवं सतत विकास तथा अन्य संबंधित कानूनी प्रावधानों पर है।
ईएफटीए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूह है, जिसमें वस्तुओं और सेवाओं में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करने के लिए निरंतर अवसर बढ़ रहे हैं। ईएफटीए यूरोप में एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक है। ईएफटीए देशों में से स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है जिसके बाद नॉर्वे का स्थान आता है।
ईएफटीए ने अगले 15 वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के स्टॉक को 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने और ऐसे निवेशों के माध्यम से भारत में एक मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार के सृजन की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। यह निवेश विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को कवर नहीं करता है।
एफटीए के इतिहास में पहली बार लक्ष्य-उन्मुख निवेश को बढ़ावा देने और रोजगारों के सृजन के बारे में कानूनी प्रतिबद्धता जताई जा रही है। ईएफटीए अपनी 92.2 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है जो भारत के 99.6 प्रतिशत निर्यात को कवर करता है। ईएफटीए के बाजार पहुंच प्रस्ताव में 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पाद और प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद पर टैरिफ रियायत शामिल है।
भारत अपनी 82.7 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है, जिसमें 95.3 प्रतिशत ईएफटीए निर्यात शामिल है। इसमें से 80 प्रतिशत से अधिक आयात सोने का है। सोने पर प्रभावी शुल्क अछूता रहा है। ऑफर बढ़ाते समय फार्मा, चिकित्सा उपकरणों और प्रसंस्कृत खाद्य आदि क्षेत्रों में पीएलआई से संबंधित संवेदनशीलता को ध्यान में रखा गया है। डेयरी, सोया, कोयला और संवेदनशील कृषि उत्पाद जैसे क्षेत्रों को बहिष्करण सूची में रखा गया है। भारत ने ईएफटीए को 105 उप-क्षेत्रों की पेशकश की है और स्विट्जरलैंड से 128, नॉर्वे से 114, लिकटेंस्टीन से 107 और आइसलैंड से 110 उप-क्षेत्रों में प्रतिबद्धताएं हासिल की हैं।
टीईपीए हमारी प्रमुख ताकत व रुचि के क्षेत्रों जैसे आईटी सेवाओं, व्यावसायिक सेवाओं, व्यक्तिगत, सांस्कृतिक, खेल और मनोरंजक सेवाओं, अन्य शिक्षा सेवाओं, ऑडियो-विजुअल सेवाओं आदि में हमारी सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित करेगा।
ईएफटीए की सेवाओं की पेशकश में सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी, वाणिज्यिक उपस्थिति और प्रमुख कर्मियों के प्रवेश और अस्थायी प्रवास के लिए बेहतर प्रतिबद्धताओं और निश्चितता के माध्यम से बेहतर पहुंच शामिल है।
टीईपीए में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट आदि जैसी व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों के प्रावधान हैं। टीईपीए में बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रतिबद्धताएं ट्रिप्स स्तर पर हैं। स्विट्जरलैंड के साथ आईपीआर अध्याय, जहां आईपीआर के लिए उच्च मानक हैं, हमारी मजबूत आईपीआर व्यवस्था को दर्शाता है। जेनेरिक दवाओं में भारत के हितों और पेटेंट की प्रक्रिया में शामिल पेटेंट कानून और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून के विशिष्ट पहलू से संबंधित चिंताओं को पूरी तरह से संबोधित किया गया है।
टीईपीए हमारे निर्यातकों को विशेष इनपुट तक पहुंच को सशक्त बनाएगा और अनुकूल व्यापार और निवेश माहौल तैयार करेगा। इससे भारत में निर्मित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही सेवा क्षेत्र को अधिक बाजारों तक पहुंचने के अवसर मिलेंगे।
टीईपीए यूरोपीय संघ के बाजारों में एकीकृत होने का अवसर प्रदान करता है। स्विट्ज़रलैंड का 40 प्रतिशत से अधिक वैश्विक सेवा निर्यात यूरोपीय संघ को होता है। भारतीय कंपनियां अब यूरोपीय संघ तक अपनी बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए स्विट्जरलैंड को आधार के रूप में देख सकती हैं।
टीईपीए बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी, विनिर्माण, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण, परिवहन और लॉजिस्ट्क्सि, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं और बीमा जैसे क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करके ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत को गति देगा।
टीईपीए भारत में अगले 15 वर्षों में व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण के लिए बेहतर सुविधाओं सहित भारत के युवा महत्वाकांक्षी कार्य बल के लिए बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगारों के सृजन में तेजी लाएगा। टीईपीए सटीक इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, नवोन्मेषण और अनुसंधान एवं विकास में प्रौद्योगिकी सहयोग और विश्व की अग्रणी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की सुविधा भी प्रदान करता है।
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