भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए सुनिश्चित हो रही है गरिमा व स्वायत्तता


भारत ने व्यापक कानूनी सुरक्षा, कल्याणकारी योजनाओं और डिजिटल पहुंच के माध्यम से ट्रांसजेंडर समुदाय के हाशिए पर पड़े रहने की ऐतिहासिक समस्या को दूर करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह बदलाव भारतीय समाज में बढ़ती जागरूकता और समावेशिता एवं समानता को बढ़ावा देने के प्रयासों को दर्शाता है।

फिलहाल, प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 का अधिनियमन (10 जनवरी 2020 से प्रभावी); ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 को अधिसूचना द्वारा लागू किया जाना ताकि अधिनियम के प्रावधानों को क्रियान्वित किया जा सके; तथा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल का शुभारंभ (25 नवंबर 2020)। इन कानूनों ने व्यवस्थित समर्थन और सशक्तिकरण के लिए एक मजबूत आधारशिला रखी है।

Read in English: Rights of transgender persons in India

सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अप्रैल 2014 को दिए अपने ऐतिहासिक फैसले, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ में स्पष्ट रूप से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को ‘थर्ड जेंडर’ के रूप में मान्यता दी। इसके अलावा, सरकार की पहल का उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के समावेशन, सम्मान, गैर-भेदभाव और मुख्यधारा में एकीकरण को और बढ़ावा देना है। इससे एक ऐसे समाज का निर्माण हो सकेगा, जहां वे समान अधिकारों और अवसरों के साथ फल-फूल सकें।

10 जनवरी, 2020 से प्रभावी ये अधिनियम एक ऐसा कानून है जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कानूनी मान्यता प्रदान करता है, उनसे भेदभाव को रोकता है और उनके कल्याण को अनिवार्य करता है।

भारत ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संरक्षण और सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ‘राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की परिषद’ नीतिगत सुझाव देने और कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी करने का कार्य करती है।

फरवरी 2022 में प्रारंभ की गई स्माइल योजना आजीविका, कौशल प्रशिक्षण और आश्रय सहायता प्रदान करती है, जिसमें गरिमा गृह केंद्रों तथा आयुष्मान भारत टीजी प्लस स्वास्थ्य कवरेज का प्रावधान शामिल है। ये सभी पहलें मिलकर ट्रांसजेंडर नागरिकों के लिए सम्मान, समावेशन और समान अवसरों को बढ़ावा देती हैं।

इसके अतिरिक्त, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए समान अवसर नीति’ जारी की है, ताकि ट्रांसजेंडर समुदाय को रोजगार सहित अन्य क्षेत्रों में समान पहुंच सुनिश्चित की जा सके।

केंद्र सरकार ने 21 अगस्त 2020 को राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की परिषद का गठन किया था, जिसे 16 नवंबर 2023 की अधिसूचना के माध्यम से पुनर्गठित किया गया। यह परिषद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय के रूप में कार्य करती है, जिसका उद्देश्य भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बढ़ावा देना है।

परिषद में ट्रांसजेंडर समुदाय के पांच प्रतिनिधि, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रतिनिधि, विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, तथा स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े विशेषज्ञ भी शामिल हैं।

'स्माइल' का उद्देश्य अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत संवैधानिक अधिकारों को बनाए रखना है, जिससे ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए समानता, गैर-भेदभाव और गरिमा का अधिकार सुनिश्चित हो सके। यह योजना लक्षित और समावेशी हस्तक्षेपों के माध्यम से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करके उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस योजना को ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए व्यापक पुनर्वास’ के माध्यम से समग्र सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

कुल मिलाकर, देश जैसे-जैसे अधिक न्यायसंगत भविष्य की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सुनिश्चित कर रहा है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति गरिमा, स्वायत्तता और अवसर के साथ रहें। साथ ही इनके लोकतांत्रिक और मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं के केंद्र में बने रहें।



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