बढ़ती जीवन प्रत्याशा की वजह से दुनियाभर में बुजुर्गों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। बुढ़ापा आने पर हर व्यक्ति में शारीरिक, सामाजिक, बीमारी संबंधी और मनोवैज्ञानिक रूप से कई बदलाव आते हैं जबकि उनकी जरूरतों, उनकी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताएं उतनी तेजी से नहीं बदल पाती। हमारी व्यवस्था जीवनपर्यंत चलती रहती है और कभी-कभी इसमें बदलती जीवनचर्या के हिसाब से बदलाव भी लाया जा सकता है। (Read in English)
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