स्वतंत्र भारत के 70 सालों में सतत सामाजिक न्याय की परंपरा...

हमारे देश की 16 फीसदी से ज्यादा आबादी अनुसूचित जातियों के लोगों की है। एक लंबे समय तक सामाजिक बहिष्कार होने के कारण समाज का एक वर्ग व्यक्तिगत वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक अवसरों से वंचित रहा है। बाबासाहेब अंबेडकर ने इस वर्ग को 'वंचित वर्ग' कहा। इसी पृष्ठभूमि से आने वाले बाबासाहेब इस वर्ग की जरूरतों और चुनौतियों से परिचित थे। अपने सार्वजनिक जीवन में बाबासाहेब ने कई उपलब्धियों की ऊंचाइयों को छुआ। विश्व के कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्राप्त कर वह समुदाय के हित में कार्य करने के लिए स्वदेश लौटे।


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