स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना से रेल परिवहन में आ सकती है क्रांति

स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजनादेश की जीवन रेखा भारतीय रेल तमाम चुनौतियों से जूझ रही है। भारी भरकम योजनाओं का आर्थिक बोझ और व्यस्ततम रेल मार्गों पर लगभग 22 हजार यात्री ट्रेनों व मालगाड़ियों के रोजाना संचालन से रेलवे की रफ्तार थम सी गई है। यात्रियों के लिए महीनों लंबी आरक्षण सूची और प्रतिदिन अधिकांश ट्रेनों के विलंब से चलने से लाखों लाख यात्री जूझ रहे हैं। रेल पटरियों पर लगातार ट्रेनों की आवाजाही से कमजोर हो रही पटरियों के मरम्मत व रखरखाव का पूरा समय न मिलने से भीषण रेल दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। इन तमाम समस्याओं और चुनौतियों का समाधान डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर कारपोरेशन आफ इंडिया लि. (डीएफसीसीआईएल) से ही होगा… अर्थात दिल्ली-मुंबई, चेन्नई-हावड़ा को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना रेल यात्रा व माला भाड़ा ढुलाई ही नहीं देश की पूरी परिवहन व्यवस्था की तस्वीर बदल सकती है।


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