क्रांतिकारी राष्ट्रसंत जैनमुनि तरुण सागर मीडिया से बात करते हुए
मथुरा। भारत की प्रकृति, संस्कृति व अतीत की स्मृति यह बताती है कि भारत कल भी सहिष्णु था, है और कल भी सहिष्णु रहेगा। असहिष्णुता को कहीं कोई जगह नहीं है। मुगल और अंग्रेजी संस्कृति हावी ना हो तो सहिष्णुता बरकरार रहेगी। यह बात शनिवार को क्रांतिकारी राष्ट्र संत मुनिश्री तरुण सागर ने मीड़िया से कही। पत्रकारों से बातचीत करते हुए जैनमुनि ने देश के ताजा हालातों जैसे असहिष्णुता, सम्मान वापसी और बीफ पर चल रहे विवादों पर बेबाक टिप्पणी करते हुए अपने विचार व्यक्त किए।
मथुरा नगरी में प्रवेश से पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग पर छटीकरा के समीप शनिवार को मीडिया से रुबरु हुए राष्ट्रसंत जैनमुनि तरुण सागर ने कहा कि मथुरा आने का उनका उद्देश्य आदमी की खोई हुई हंसी और खुशी लौटाना है। आज आदमी के पास सब कुछ है लेकिन नहीं है तो चेहरे पर हंसी और खुशी। इसके बाद देश के वर्तमान हालातों पर बोलते हुए मुनिश्री ने कहा कि देश में असहिष्णुता के नाम पर चर्चाए जारी हैं जबकि भारत की संस्कृति में सिर्फ सहिष्णुता को ही आदि काल से स्थान मिला हुआ है। यहां की प्रकृति और संस्कृति में सहिष्णुता ही सर्वोपरि रही है। स्मृति में भी नहीं कि कभी असहिष्णुता का माहौल बना हो। उन्हौने सहिष्णुता के लिए मुगल और अंग्रेजी संस्कृति को दूर रखने की बात कही। हाल ही में फिल्म अभिनेता आमिर खान द्वारा देश छोड़ने सम्बन्धी बयान पर उन्हौन कहा कि मछली जल में रहकर जल का मूल्य नहीं समझती। जब कोई मछुआरा उसे पकड़कर रेत पर डालता है तब मछली की नजर में जल का महत्व आता है। मुनिश्री ने आमिर खान का नाम लिए बगैर कहा कि ईराक और सीरिया जैसे देशों में जाएं तो पता चलेगा कि असहिष्णुता क्या होती है। उन्हौने आमिर खान के देश छोड़ने के बयान पर कहा कि उनमें देशभक्ति और समर्पण की भावना नहीं है। उदाहरण के तौर पर मुनिश्री ने समझाया कि घर में झगड़े के बाद घर का कोई सदस्य घर छोड़कर तो नहीं चला जाएगा। असहिष्णुता को मुद्दा बनाकर साहित्यकारों द्वारा सम्मान वापस किए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्हौने इसे केवल सस्ती लोकप्रियता और मीडिया में ख्याति हासिल करने का जरिया बताते हुए कहा कि जिस तरह जंगल में लड़िया (सियार) हू-हू की आवाज निकालता है तो जंगल के सभी लड़िया (सियार) उसी की आवाज में बोलने लगते हैं। उन्हौने कहा कि मैं साहित्यकारों की तुलना जानवरों से नहीं कर रहा हूॅ लेकिन ऐसा ही कुछ माहौल देश में बना हुआ है। इस मामले में विरोध करने के लिए संविधान ने बहुत तरीके दिए हैं किसी भी लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया जा सकता है पिछले दो माह से सम्मान वापसी की परंपरा जैसी चल पड़ी है। बीफ को लेकर पूछे गए सवाल के जबाब में मुनिश्री ने कहा कि देश में बहुसंख्यक गाय को मां मानते हैं और सम्मान देते हैं इसलिए अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की भावनाओं का खयाल रखना चाहिए। जिस तरह दो अच्छे पड़ोसी एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रख भाई-चारे से रहते हैं। बहु व अल्पसंख्यकों को भी ऐसे ही रहना चाहिए। उन्हौने अल्पसंख्यकों को पड़ोसी देश से भी दूर रहने की नशीहत देते हुए कहा कि देश में समरसता तभी बनेगी जब अल्पसंख्यक व बहुसंख्यक एक दूसरे की भावना को समझे। उन्हौने राजनैतिक लोगों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इन वोट के सौदागरों को किसी की बात समझ नहीं आती इन्हें वक्त ही समझायेगा। आईएसआईएस के बारे में मुनिश्री ने कहा कि वो बहके हुए लोग हैं। किसी के समझाने पर भी वे नहीं समझेंगे, समय ही उन्हें सिखायेगा।