कॉमनवेल्थ खेलों के शुरू होने में मुश्किल से दो हफ्ते का समय रह गया है। जब भी कोई बड़ा खेल या सांस्कृतिक आयोजन देश में होता है तो लोगों में दिल खोलकर उसमें अपनी भागेदारी निभाने की परंपरा रही है। इस बार मामला उल्टा है। अब ये तो नहीं कहा जा सकता कि सब लोग खेलों के विरोध में ही हैं। लेकिन ये भी सच है कि ज्यादातर लोगों में इसमें अपनी हिस्सेदारी को लेकर कोई खास उत्साह नहीं है।
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