‘मैं भी पढ़ सकती हूँ...!’

''जी हां... मैं भी पढ़ सकती हूँ लोगों की भावनाओं को... उनके अनुभवों को... उनकी सफलताओं को... समाचार को और भी बहुत कुछ...। मुझे भी लिखना आता है अपने विचारों को, अपनी भावनाओं को...। मैं भी लिखकर अपनी भावनाओं, विचारों को सभी लोगों के साथ बांट सकती हूँ और अपना योगदान दे सकती हूँ संसार को आगे बढ़ाने में, समाज को बेहतर बनाने में...।


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