क्या जीतेगी ‘जिजीविषा’…!

प्रमोद कुमार पांडेयअरविन्द केजरीवाल एक उम्मीद और अदम्य जिजीविषा का नाम है। लोगों की आशा -आकांक्षाओं का प्रतीक स्वर है। आम जनता--किसान, मजदूर, छात्र, महिलाएं, नौजवान आदि (और खास भी, जो ईमानदार व्यवस्था चाहते हैं) ट्रेन, बस, चाय -पान की दुकानों, सड़क -बाजार, कॉलेज कैंपस, चौपालों, खेत -खलिहान पर जो मुद्दे उठाती है, आक्रोश प्रकट करती है... उन बहसों में, आक्रोश में 'अप्रिय सच' भी बोला जाता है। आक्रोश में अतिवादिता भी होती है। कई बार गलत -सलत दावे -प्रतिदावे भी होते हैं!

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