आगरा

आगरा : दुनिया की जनसंख्या में 17 फीसद हिस्सा भारत का है जबकि किशोरों की जनसंख्या में 20 फीसद हिस्सेदारी भारत की है। यह भारत के लिए संपदा हैं जो देश को तरक्की की राह पर ले जा सकती है लेकिन किशोर और युवा जीवनशैली से जुडी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनका शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो रहा है। ऐसे में होटल फोर प्वाइंट में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समपान समारोह में रविवार को निर्णय लिया गया कि भारत सरकार एडोलिसेन्ट हेल्थ एकेडमी (एएचए) व इंडियन पीडिएट्रिक एसोसिएशन (आईएपी) के साथ मिलकर किशोरों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पॉलिसी तैयार करेगी।

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आगरा : दुनिया की जनसंख्या में 17 फीसद हिस्सा भारत का है जबकि किशोरों की जनसंख्या में 20 फीसद हिस्सेदारी भारत की है। यह भारत के लिए संपदा हैं जो देश को तरक्की की राह पर ले जा सकती है लेकिन किशोर और युवा जीवनशैली से जुडी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनका शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो रहा है। ऐसे में होटल फोर प्वाइंट में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समपान समारोह में रविवार को निर्णय लिया गया कि भारत सरकार एडोलिसेन्ट हेल्थ एकेडमी (एएचए) व इंडियन पीडिएट्रिक एसोसिएशन (आईएपी) के साथ मिलकर किशोरों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पॉलिसी तैयार करेगी। 

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आगरा : हर पांच में से एक लड़का और एक लड़की यौन शोषण के शिकार हो रहे हैं। अधिकांश मामलों में इनका यौन शोषण करने वाले भी किशोर ही हैं। यह बडी समस्या है, इसपर होटल फोर प्वाइंट में आयोजित इंडियन एकेडमी ऑफ पिडियाट्रिक्स और एडोलसेंट हेल्थ एकेडमी की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस में शनिवार को चर्चा की गई। पिछले तीन वर्ष में किशोरों के साथ यौन शोषण के मामले तीन गुना बढ़ गए हैं।

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आगरा : हर पांच में से एक लड़का और एक लड़की यौन शोषण के शिकार हो रहे हैं। अधिकांश मामलों में इनका यौन शोषण करने वाले भी किशोर ही हैं। यह बडी समस्या है, इसपर होटल फोर प्वाइंट में आयोजित इंडियन एकेडमी ऑफ पिडियाट्रिक्स और एडोलसेंट हेल्थ एकेडमी की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस में शनिवार को चर्चा की गई। पिछले तीन वर्ष में किशोरों के साथ यौन शोषण के मामले तीन गुना बढ़ गए हैं।

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आगरा : बच्चों के ज्यादा सोने को लेकर हमेशा चिड़चिड़ करने वाले माता-पिता को यह समझ लेना चाहिए कि किशोरों के बेहतर मानसिक व शारीरिक विकास के लिए कम से कम नौ से साढ़े नौ घंटे की नींद आवश्यक है। विकास सम्बंधी कई हार्मोन किशोरों में नींद के दौरान ही बनते हैं। यानी बेहतर विकास और तनाव रहित दिनचर्या के लिए दिमाग का भोजन है नींद। यदि नींद पूरी न हो तो तनाव, चिड़चिड़ापन, मूड का खराब रहने का असर स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। यहां तक कि नींद पूरी न होने पर किशोर डायबिटीज और ओबेसिटी का भी शिकार हो सकते हैं।

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आगरा : किशोरों में अस्थमा तेजी से बढ़ा है, इससे उनका स्कूल छूट रहा है। कम उम्र में ही उनकी कार्यक्षमता कम हो रही है। इन्हेलर और नेबुलाइजर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। मगर अब अस्थमा रोगी किशोरों को बीमारी से राहत मिल सकती है।

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