"... उर्दू शायर मुनव्वर राना से संबंधित प्रश्न का उत्तर हिन्दी के प्रसिद्ध कवि स्व. बृजेंद्र अवस्थी की कविता की दो पंक्तियों के माध्यम से दिया जा सकता है... फिर कभी देखेंगे तेरी चोट के गहरे निशां, आजकल हम व्यक्तिगत सदमे भुलाने में लगे है..."
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