अर्थव्यवस्थाओं को शक्ति प्रदान करते हुए और तकनीकी परिदृश्य को नए सिरे से परिभाषित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स नवाचार और विकास का इंजन बन गया है। दुनियाभर में, यह क्षेत्र संचार, स्वचालन और कनेक्टिविटी की दिशा में प्रगति को गति देते हुए समाजों के रहने, काम करने और परस्पर संपर्क के तरीके को आकार दे रहा है।
पिछले एक दशक के दौरान, भारत तेज़ी से एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित हुआ है, जिसने पिछले एक दशक में उत्पादन में लगभग छह गुना वृद्धि दर्ज की है। इस क्षेत्र ने केवल अपने औद्योगिक आधार का ही विस्तार नहीं किया, बल्कि पिछले 10 वर्षों में 25 लाख नौकरियों को भी सृजित किया है, जो रोज़गार और आर्थिक विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में इसकी भूमिका को रेखांकित करता है। महत्वपूर्ण सरकारी पहलों और मज़बूत नीतिगत समर्थन ने स्थानीय विनिर्माण को और बढ़ावा दिया है, निर्यात का विस्तार किया है और महत्वपूर्ण वैश्विक निवेश आकर्षित किया है।
Read in English: Indian electronics production soars 6-fold over the decade
वर्ष 2030-31 तक 500 बिलियन डॉलर का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकोसिस्टम निर्मित करने के महत्वाकांक्षी विजन के साथ, भारत घरेलू स्तर पर व्यापक अवसरों का सृजन करने के साथ ही साथ विश्व के लिए नवाचार करते हुए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी के तौर पर उभरने को तैयार है।
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों, मज़बूत नीतिगत समर्थन, तकनीकी प्रगति और कुशल कार्यबल की बदौलत भारत तेज़ी से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बन गया है और इसने उत्पादन और निर्यात दोनों को अभूतपूर्व स्तरों पर पहुंचाया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन वर्ष 2014-15 के 1.9 लाख करोड़ रुपये से लगभग छह गुना बढ़कर वर्ष 2024-25 में 11.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसी अवधि के दौरान निर्यात 38,000 करोड़ रुपये से आठ गुना बढ़कर 3.27 लाख करोड़ रुपये हो गया। पिछले 10 वर्षों में, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण ने 25 लाख नौकरियों का सृजन किया और वित्त वर्ष 2020-21 से भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में चार बिलियन डॉलर से अधिक का एफडीआई आकर्षित किया है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के लिए शीर्ष पांच निर्यात गंतव्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, ब्रिटेन और इटली हैं।
उत्पादन-से संबद्ध प्रोत्साहन योजना और कारोबार करने में सुगमता में सुधार जैसे सहायक उपायों ने विनिर्माण और निर्यात को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में त्वरित वृद्धि ने देशभर में रोज़गार के पर्याप्त अवसरों का सृजन किया है, जबकि भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाते और विदेशी निवेश आकर्षित करते हुए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में गहराई से एकीकृत हो गया है।
भारत की मोबाइल फ़ोन क्रांति जीवन और आजीविका को नए आकार में ढाल रही है। 85 प्रतिशत से ज़्यादा भारतीय परिवारों के पास कम से कम एक स्मार्टफ़ोन है, इसके कारण, यह उपकरण आज बैंकिंग, शिक्षा, मनोरंजन और सरकारी सेवाओं तक पहुंच कायम करने के एक साधन के रूप में कार्य करता है। मोबाइल कनेक्टिविटी वित्तीय समावेशन और डिजिटल सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली वाहक बन गई है, जिससे भारत दुनिया के सबसे अधिक परस्पर संबद्ध समाजों में शुमार हो गया है।
मोबाइल फ़ोन का उत्पादन वर्ष 2014-15 में 18,000 करोड़ रुपये से 28 गुना बढ़कर वर्ष 2024-25 में 5.45 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फ़ोन निर्माता बन गया है। भारत का मोबाइल विनिर्माण उद्योग तेज़ी से बढ़ा है। वर्ष 2014 में केवल दो इकाइयों से बढ़कर आज 300 से ज़्यादा इकाइयों तक पहुंच गया है। सालाना लगभग 330 मिलियन मोबाइल फ़ोन का उत्पादन होता है, और देशभर में लगभग बिलियन उपकरण सक्रिय रूप से उपयोग में लाए जा रहे हैं। वर्ष 2014-15 में निर्यात 1,500 करोड़ रुपये से 127 गुना बढ़कर वर्ष 2024-25 में 2 लाख करोड़ रुपये हो गया।
वर्ष 2024 में, भारत से होने वाला एपल का निर्यात रिकॉर्ड 1,10,989 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो 42 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। वित्त वर्ष 2025-26 के मात्र पहले पांच महीनों में ही, स्मार्टफ़ोन निर्यात एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 55 फीसदी वृद्धि है।
वर्ष 2014-15 में अपनी ज़रूरतों का 78 फीसदी आयात करने से लेकर आज लगभग सभी उपकरणों का घरेलू स्तर पर निर्माण करने तक भारत ने मोबाइल उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में, भारत चीन को पछाड़कर अमेरिका को शीर्ष स्मार्टफ़ोन निर्यातक बन गया।
इलेक्ट्रॉनिक्स आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। घरों से लेकर अस्पतालों तक, और कारखानों से लेकर वाहनों तक, ये दक्षता, आराम और नवाचार को संभव बनाते हैं। आज हर प्रमुख क्षेत्र प्रदर्शन में सुधार, सुरक्षा बढ़ाने और बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भर है। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी विकसित हो रही है, उद्योगों में प्रगति को आगे बढ़ाने में इलेक्ट्रॉनिक्स का महत्व बढ़ता जा रहा है।
उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं। अब हर घर टेलीविज़न, रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर और वाशिंग मशीन जैसे उपकरणों पर निर्भर है। ये उत्पाद घरों में सुविधा, मनोरंजन और दक्षता लाते हैं। उपभोक्ता उपकरणों का बढ़ता सामर्थ्य और विविधता, लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती भूमिका को दर्शाते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक घटक संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिइक्स इकोसिस्टम की नींव हैं। ये साधारण घरेलू उपकरणों से लेकर जटिल औद्योगिक प्रणालियों तक, हर उपकरण को शक्ति प्रदान करते हैं। इन आवश्यक पुर्जों के बिना कोई भी निर्माता उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा प्रणालियां या चिकित्सा उपकरण नहीं बना सकता। इस उप-क्षेत्र की ताकत इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की समग्र दृढ़ता और प्रतिस्पर्धात्मकता निर्धारित करती है।
प्रदर्शन, सुरक्षा और कनेक्टिविटी के लिए आधुनिक वाहनों की इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भरता तेज़ी से बढ़ रही है। जैसे-जैसे दुनिया इलेक्ट्रिक और स्मार्ट मोबिलिटी का रुख कर रही है, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। शहरीकरण और स्वच्छ परिवहन की बढ़ती ज़रूरत इस बदलाव को और तेज़ कर रही है। सेंसर से लेकर इंफोटेनमेंट सिस्टम तक, इलेक्ट्रॉनिक्स वाहनों के संचालन और उपयोगकर्ताओं के साथ उनके संपर्क के तरीके को बदल रहे हैं।
जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती मांग ने चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिक्स के बाज़ार का विस्तार किया है। ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर और डिजिटल मॉनिटर जैसे उपकरण अब घरों और अस्पतालों दोनों में सामान्य हो गए हैं। चिकित्सा प्रौद्योगिकी में नवाचार निदान, उपचार और रोगी देखभाल में सुधार ला रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स ने स्वास्थ्य सेवा को बदलती दुनिया की ज़रूरतों के हिसाब से ज़्यादा सुलभ, सटीक और संवेदनशील बना दिया है।
भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग मज़बूत नीतिगत समर्थन और लक्षित सरकारी पहलों के आधार पर विकसित हुआ है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी विनिर्माण इकोसिस्टम का निर्माण करना, निवेश आकर्षित करना और बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन करते हुए वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका मज़बूत करना है।
कुल 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय वाली उत्पादन-से संबद्ध प्रोत्साहन योजना इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी हार्डवेयर सहित 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती है। यह कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने, नई तकनीकों को अपनाने और निर्यात का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
कुल मिलाकर, भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल विनिर्माण यात्रा महत्वाकांक्षा, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को दर्शाती है। निरंतर नवाचार और नीतिगत समर्थन के साथ, देश वर्ष 2030-31 तक 500 बिलियन डॉलर का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम हासिल करने और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मोबाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तैयार है।
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