प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के 11वें स्वतंत्रता दिवस के सम्बोधन में भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने का संकल्प लिया गया।
दुनिया के कई अन्य देशों की तरह भारत की मुख्य समस्या भी भ्रष्टाचार ही है। मौजूदा दौर में भारत की जनता तीन परेशानियों से पीड़ित है। पहली, भ्रष्टाचार। दूसरी, विविध प्रकार के कराधान और तीसरी बेरोजगारी। कमाल की बात यह है कि मात्र भ्रष्टाचार उन्मूलन से ही भारत की 80 फीसदी समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाएगा।
यदि विश्व स्तर पर भ्रष्टाचार में भारत की स्थिति का आंकलन करें तो ट्रांसपेरेंसी इन्टरनेशनल रिपोर्ट के अनुसार भ्रष्टाचारी 180 देशों की श्रेणी में भारत 93वें स्थान पर है, जबकि डेन्मार्क, फिनलैण्ड, न्यूजीलैण्ड, नार्वे, सिंगापुर व स्वीडन भ्रष्टाचारमुक्त देशों की श्रेणी में उच्चतम पायदानों पर सुशोभित हैं। भारत के लिए 93वें पायदान पर पहुंचना निःसंदेह अत्याधिक चिंताजनक है। मोदी द्वारा भ्रष्टाचार को समाप्त करने का संकल्प, भारत की गिरती साख को ध्यान में रखकर लिया गया है। अन्यथा, भविष्य में हमारी स्थिति नाजुक मोड़ पर पहुंच सकती है।
आज भारत में ईमानदार राजनेताओं की संख्या नगण्य है। रिश्वत के बिना किसी भी विभाग से कोई वैध कार्य कराना एक स्वप्न के समान है। भारत की निर्धन व असहाय जनता अपनी समस्या अथवा कार्य परिणिति के लिए किसके दरवाजे पर दस्तक दें, उसे यह समझ में नहीं आता। लोग नेताओं के पास जाते हैं, परन्तु उन्हें वहां केवल निराशा ही प्राप्त होती है। सरकारी अधिकारियों तक उनकी पहुंच हो नहीं पाती है। प्राय: सुनने को मिलता है कि परेशान जनता नेताओं के दलालों के सम्पर्क में आ जाती है और वे लोग जनता का, उनके नाम पर बहुत शोषण करते हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रार्थना है कि भ्रष्टाचारमुक्त भारत के लिए सर्वप्रथम भारत को भ्रष्टाचारी नेताओं से मुक्त कराएं, जिन्होंने विगत कुछ वर्षों में देश को अत्याधिक हानि पहुंचाई है। ऐसा होने पर जनता के मध्य एक सकारात्मक संदेश जाएगा। जिस प्रकार पानी ऊपर से नीचे की ओर आता है, उसी प्रकार भ्रष्टाचार का प्रवाह भी उच्चतम पद पर बैठे व्यक्ति से नीचे की ओर जाता है। शीर्ष पदों पर आसीन नेता यदि ईमानदार होंगे तो उनके अधीनस्थ स्वयं ही ईमानदार हो जाएंगे।
वर्तमान समय में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए मोदी ही देश की अंतिम आशा हैं। लाल किले की प्राचीर से भ्रष्टाचार को समाप्त करने का संकल्प यदि आज से 2-3 वर्ष पूर्व ही ले लिया जाता तो जिस जनता ने उनको 240 सीटे दी हैं, वही जनता 400 सीटें देकर उनकी सेवाओं का ऋण भी उतार सकती थी। लोकसभा चुनाव में मात्र 240 सीटों पर विजयश्री प्राप्त करना यह भी प्रमाणित करता है कि जनता भ्रष्टाचार से अत्याधिक आहत है। यह आन्दोलन यदि घर से यानी अपनी ही पार्टी से शुरू हो तो अवश्य ही सुखद परिणाम मिलेगा।
(लेखक आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं और यहां व्यक्त विचार उनके स्वयं के हैं)
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