नृत्य-संगीत मानव जीवन के उल्लास को अभिव्यक्त करने का माध्यम है। लोक नृत्य हमारे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये लोक नृत्य न केवल भारत के लोगों को बल्कि समूचे विश्व को आकर्षित करते हैं। इन्हीं लोक नृत्यों में से एक राजस्थान की सपेरा जाति द्वारा किया जाने वाला कालबेलिया भी बेहद प्रसिद्ध है।
राजस्थान के इस प्रसिद्ध नृत्य शैली की धूम सब तरफ है। कालबेलिया नृत्य दो महिलाओं द्वारा किया जाता है। नृत्य करते हुए उनमें अद्भुत फुर्ती दिखाई देती है। नृत्य के दौरान पुरुष बीन व अन्य वाद्य यंत्र बजाते हैं। महिलाएं नृत्य के दौरान सांप की तरह बल खाते हुए नृत्य की प्रस्तुति देती हैं। इस नृत्य के दौरान नृत्यांगनाओं द्वारा आंखों की पलक से अंगूठी उठाने, मुंह से पैसे उठाना, उल्टी चकरी खाना जैसी कलाकारी भी दिखाई जाती है।
कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति में नृत्यांगनाओं द्वारा पहने जाने वाले पोशाक भी विशेष होते हैं। यह नृत्य अपनी पोशाक और नृत्य के अनूठे तरीके के कारण भी जाना जाता है। नृत्यांगनाओं में गजब का लोच और गति देखकर दर्शक मंत्र-मुग्ध हो जाते हैं। नृत्य के दौरान नृत्यांगनाएं काला घाघरा, चुनरी और चोली पहनती हैं। इस काले रंग की पोशाक में कांच की गोटियां लगी होती है। इसके अलावा पोशाक में बहुत सी चोटियां गुंथी होती हैं, जो नृत्यांगना की गति के साथ बहुत मोहक लगती हैं। तीव्र गति पर घूमती नृत्यांगनाएं जब विभिन्न भंगिमाएं करती हैं तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठते हैं।
कालबेलिया नृत्य को संयुक्त राष्ट्र की इकाई यूनेस्को ने वर्ष 2010 से मानवता की सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है।
Related Items
खुल गया जहरीले काले बिच्छू के डंक का रहस्य...!
'हम काले हैं तो क्या हुआ...! दिलवाले हैं…!!'
खोखले स्टार्ट-अप के बजाय व्यवसाय की सभ्यतागत विरासत को बचाना है जरूरी