भारतीय मूर्ति कला परंपरा में भगवान श्रीकृष्ण का है अद्भुत असर

देशभर में मूर्तिकला पर भगवान श्रीकृष्ण का एक बड़ा असर रहा है। इनमें बंगाल की मिट्टी से बनी मूर्तियों से भला कौन परिचित नहीं होगा। राधाकृष्ण, बालगोपाल और चैतन्य महाप्रभु की मूर्तियां पूरे भारत को यहां के कलाकार भेजते हैं।

बहुत से कलाकार श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित बनाई गई मूर्तियों के बल पर देश से बाहर जाकर भी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं। घुटने के बल चलते कृष्ण की मूर्तियां और गुड़िया दुनियाभर में प्रसि़द्ध हैं।

कोणार्क एवं पुरी स्थित मंदिरों की मूर्तियों में भी भगवान श्रीकृष्ण की त्रिभंग मुद्रा सर्वत्र छाई हुई है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु और मूर्तिकला में रुचि रखने वाले विशेषज्ञ यहां नियमित रूप से आते हैं।

कृष्णानगर में बनी मिट्टी की मूर्तियां भी पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। इनमें हल्की पसलियां तथा नसें तक भी स्पष्ट रूप से दिखती हैं। इन मूर्तियों की भाव व्यंजना उन्नत कोटि की है। मूर्तिकला का आधार पत्थर, धातु, मिट्टी व लकड़ी होता है जिसे छैनी और हथौड़े से काट-छांटकर, ढालकर शिल्पकार अपनी कल्पना को अभीष्ट आकार में परीणित करता है। इन मूर्तियों में पूर्ण मनोयोग से रूप और भाव का प्रदर्शन होता है।

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