एक नए अध्ययन से पता चलता है कि ब्लैक होल की गतिविधियां अपने आस-पास नए तारों के जन्म को रोकती हैं। यह अध्ययन आकाशगंगाओं के विकास की गहरी समझ प्रदान कर सकता है और यह इस बात का उत्तर भी दे सकता है कि कुछ आकाशगंगाओं में तारा निर्माण की दर बहुत कम क्यों होती है।
आकाशगंगाओं के केंद्र में स्थित अतिविशाल ब्लैक होल गैस के बहिर्वाह को प्रेरित करने के लिए जाने जाते हैं, और खगोलविद लंबे समय से इस बात का अध्ययन करते रहे हैं कि इन बहिर्वाहों से होने वाली प्रतिक्रिया प्रक्रियाएं इन आकाशगंगाओं के विकास को कैसे निर्धारित कर सकती हैं। हालांकि, एक महत्वपूर्ण पहेली यह रही है कि मेज़बान आकाशगंगा के व्यवहार और विकास पर इस गैस बहिर्वाह और केंद्रीय क्षेत्रों से निकलने वाले विकिरण के सापेक्ष प्रभाव को कैसे समझा जाए।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के खगोलविदों के नेतृत्व में किए गए एक नए अध्ययन ने हमारे ब्रह्मांड को आकार देने वाली इन शक्तिशाली बलों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। उनके अध्ययन से पता चलता है कि ब्लैक होल के आसपास से निकलने वाला तीव्र विकिरण और उनके द्वारा उत्सर्जित उच्च गति वाले जेट दोनों मिलकर आकाशगंगाओं के केंद्रों से गैस बाहर निकाल सकते हैं, जिससे उनके केंद्रीय क्षेत्रों में तारा निर्माण रुक सकता है और आकाशगंगाओं का विकास नियंत्रित हो सकता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित प्रकाशीय तरंगदैर्ध्य पर स्लोअन डिजिटल स्काई सर्वे टेलीस्कोप और रेडियो तरंगदैर्ध्य पर वेरी लार्ज ऐरे जैसी अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय सुविधाओं से प्राप्त अत्याधुनिक अभिलेखीय डेटा का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने सक्रिय आकाशगंगा नाभिक वाली 500 से अधिक अपेक्षाकृत निकटवर्ती आकाशगंगाओं का अध्ययन किया। एजीएन ऊर्जावान आकाशगंगा केंद्र हैं जो प्रचुर मात्रा में विकिरण और गैस उत्सर्जित करते हैं और जो उनके अतिविशाल ब्लैक होल पर गिरने वाले पदार्थ से संचालित होते हैं। ये ब्लैक होल हमारे सूर्य से कई लाख गुना अधिक विशाल होते हैं।
आईआईए में पीएचडी छात्रा और अध्ययन की प्रमुख लेखिका पायल नंदी बताती हैं, "एजीएन में गर्म आयनित गैस का बहिर्वाह व्यापक है और जबकि ब्लैक होल से निकलने वाला विकिरण मुख्य चालक है, रेडियो जेट वाली आकाशगंगाएं काफी तेज़ और अधिक ऊर्जावान बहिर्वाह दिखाती हैं।"
अध्ययन से यह भी पता चला कि ऐसे बहिर्वाह, जो आकाशगंगा के केंद्रों से बाहर धकेली गई गैस की उच्च गति वाली धाराएं हैं, रेडियो तरंगदैर्ध्य, 56 फीसदी, में पाई जाने वाली आकाशगंगाओं में रेडियो उत्सर्जन रहित आकाशगंगाओं, 25 फीसदी, की तुलना में दोगुने से भी अधिक होते हैं। ये शक्तिशाली हवाएं 2,000 किलोमीटर प्रति सेकंड तक की गति से चल सकती हैं, जो स्वयं आकाशगंगा के गुरुत्वाकर्षण बल से बचने के लिए काफी तेज़ हैं।
आईआईए के एक संकाय सदस्य और अध्ययन के सह-लेखक सीएस स्टालिन ने कहा, "यह अध्ययन इस बात पर ज़ोर देता है कि आकाशगंगा के विकास की पूरी तस्वीर को समझने के लिए बहु-तरंगदैर्ध्य डेटा को संयोजित करना कितना महत्वपूर्ण है।"
शोधकर्ताओं ने इन बहिर्वाहों की ऊर्जा और अतिविशाल ब्लैक होल द्वारा उत्पन्न कुल चमक या बल के बीच एक मज़बूत संबंध पाया। इसके अलावा, जिन आकाशगंगाओं में रेडियो जेट हैं, जो ब्लैक होल के आसपास से लगभग प्रकाश की गति से निकलने वाले सापेक्षतावादी कणों की संक्रेंदित किरणें हैं, उनमें यह संबंध और भी मज़बूत पाया गया है। इससे पता चलता है कि जेट, हालांकि मुख्य कारण नहीं हैं, लेकिन वे बूस्टर की तरह काम करते हैं और गैस को अधिक मात्रा में बाहर निकालने में मदद करते हैं।
इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के सह-लेखक ध्रुबा जे सैकिया ने कहा, "ये निष्कर्ष सुपरमैसिव ब्लैक होल, रेडियो जेट, तारा निर्माण और उनकी मेज़बान आकाशगंगाओं के विकास के बीच जटिल अंतर्संबंधों को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।"
टीम ने यह भी पाया कि इन आकाशगंगाओं में बहिर्वाह के कारण मध्य क्षेत्रों में तारा निर्माण लगभग पूरी तरह से बंद हो जाता है। अध्ययन में तारकीय आबादी के ऑप्टिकल मेजरमेंट और अवरक्त रंग डाइग्नोस्टिक्स का उपयोग यह पुष्टि करने के लिए किया गया कि तारों के निर्माण के बजाय ब्लैक होल की गतिविधि हवाओं को संचालित कर रही है। यह नकारात्मक एजीएन फीडबैक नामक एक घटना की ओर इशारा करता है, जहां ब्लैक होल की गतिविधियां अपने आसपास नए तारों के जन्म को रोक देती हैं।
यह हमें इस बात की गहरी समझ देता है कि आकाशगंगाएं कैसे विकसित होती हैं और उनमें से कुछ में तारा निर्माण की दर बहुत कम क्यों होती है। यह दर्शाता है कि अतिविशाल ब्लैक होल जैसी दूर और रहस्यमय वस्तुएं भी हमारे ब्रह्मांड को आकार देने में बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं।
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