आगरा : इतिहास और संस्कृति से सराबोर शहर आगरा अब मानसून के मौसम में जलभराव और जलप्लावन की समस्या से जूझ रहा है। मौजूदा मानसून के दौरान हो रही भारी बारिश ने एक बार फिर शहर की कमज़ोरियों को उजागर कर दिया है। इससे नागरिक निराश हैं और स्थानीय निकाय आलोचना का सामना कर रहा है। नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल के आश्वासन के बावजूद वादा किए गए समाधान प्रभावी नहीं हुए हैं और शहर इस वार्षिक समस्या से जूझ रहा है।
Read in English: Ineffective solutions to deal with monsoon are disappointing citizens
इस समस्या के मूल कारण बहुआयामी हैं। पर्यावरणविद् डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य कहते हैं, "सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण और अनियोजित शहरी विकास इस स्थिति के बिगड़ने देने के प्रमुख कारण हैं। प्रभावी जल निकासी प्रणालियों की कमी और मौजूदा बुनियादी ढांचे के अपर्याप्त रखरखाव ने समस्या को और बढ़ा दिया है। यह देखना निराशाजनक है कि यह वार्षिक समस्या आगरा को लगातार परेशान कर रही है। नागरिक एजेंसियां इस चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संघर्ष कर रही हैं।"
आगरा के नागरिकों की परेशानियों को कम करने और भविष्य में मानसून का बेहतर अनुभव सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। रिवर कनेक्ट अभियान के कार्यकर्ता राहुल राज के अनुसार, "सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण को नियमों के सख्त प्रवर्तन और निर्माण गतिविधियों की नियमित निगरानी के माध्यम से निपटाया जाना चाहिए। इससे आगे अतिक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि सार्वजनिक स्थानों का उपयोग उनके इच्छित उद्देश्य के लिए किया जा रहा है।"
सामाजिक कार्यकर्ता पद्मिनी अय्यर कहती हैं, "शहर के जल निकासी ढांचे को उन्नत करने और बनाए रखने में निवेश किए जाने की आवश्यकता है। इसमें नालों और सीवरों की नियमित सफाई, अधिक कुशल जल निकासी प्रणालियों की स्थापना और जल स्तर की निगरानी के लिए सेंसर जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग शामिल है। इससे संभावित बाढ़ वाले क्षेत्रों का जल्द पता लगाने और त्वरित कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।"
साथ ही, भारी बारिश के प्रभाव को कम करने में सार्वजनिक जागरूकता और भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। नागरिकों को उचित अपशिष्ट निपटान और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता बनाए रखने के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। नियमित सफाई अभियान के लिए सामुदायिक पहल जलभराव की समस्याओं को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
इसके अलावा, भविष्य में जलभराव की समस्याओं को रोकने के लिए आगरा में शहरी नियोजन और विकास को और अधिक रणनीतिक और टिकाऊ बनाने की आवश्यकता है। अधिकारियों को हरित स्थान बनाने, स्थायी जल प्रबंधन प्रथाओं को लागू करने और पर्यावरण के अनुकूल निर्माण तकनीकों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। लोक स्वर के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का सुझाव है कि इससे शहर की बाढ़ के प्रति संवेदनशीलता कम करने और इसे अधिक लचीला बनाने में मदद मिलेगी।
वरिष्ठ नागरिक और श्री नाथ जी सेवा के निदेशक बीएल माहेश्वरी कहते हैं, "नागरिकों का विश्वास बनाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों की पारदर्शिता और जवाबदेही आवश्यक है। जल निकासी रखरखाव गतिविधियों पर नियमित अपडेट, जलभराव से संबंधित शिकायतों का समय पर जवाब और आपातकालीन स्थितियों के दौरान प्रभावी संचार निवासियों की निराशा और चिंताओं को कम करने में मदद कर सकता है।"
अब, जबकि आगरा में मानसून की समस्या एक दीर्घकालिक चुनौती हो सकती है तो सक्रिय उपाय और अधिकारियों व नागरिकों का सामूहिक प्रयास इन मुद्दों से निपटने में महत्वपूर्ण अंतर ला सकता है। जलभराव के मूल कारणों को लक्षित करके, बुनियादी ढांचे के उन्नयन में निवेश करके, सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देकर और टिकाऊ शहरी नियोजन प्रथाओं को अपनाकर, आगरा धीरे-धीरे अपने नागरिकों को बरसात के मौसम के दर्दनाक अनुभवों से मुक्त कर सकता है।
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