भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता ने हासिल की नई उपलब्धि


भारत अपनी नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा में एक अहम पड़ाव पर पहुंच गया है। देश की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 200 गीगावाट को पार कर गई है। यह उल्लेखनीय वृद्धि वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावॉट प्राप्त करने के, देश के महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य के अनुरूप है।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, कुल नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित बिजली उत्पादन क्षमता अब 203.18 गीगावॉट है। यह उपलब्धि स्वच्छ ऊर्जा के प्रति भारत की बढ़ती प्रतिबद्धता और हरित भविष्य के निर्माण में इसकी प्रगति को दर्शाती है।

Read in English: India's renewable energy capacity hits new milestone

भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में महज़ एक साल में 24.2 गीगावॉट की शानदार वृद्धि हुई है। यह अक्टूबर 2024 में 203.18 गीगावॉट तक पहुंच गई, जो अक्टूबर 2023 में 178.98 गीगावॉट थी। इसके अतिरिक्त, परमाणु ऊर्जा को शामिल करने पर, भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता 2023 में 186.46 गीगावॉट की तुलना में साल 2024 में बढ़कर 211.36 गीगावॉट हो गई।

यह कामयाबी, भारत के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए वर्षों के समर्पित प्रयासों के परिणाम दर्शाती है। विशाल सौर पार्कों से लेकर पवन फार्मों और जलविद्युत परियोजनाओं तक, देश ने लगातार विविध नवीकरणीय ऊर्जा आधार का निर्माण किया है। इन पहलों के चलते न केवल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हुई है, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत हुई है। 8,180 मेगावाट परमाणु क्षमता को भी शामिल किया जाए, तो कुल गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित बिजली, अब देश की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग आधा हिस्सा है, जो वैश्विक मंच पर स्वच्छ ऊर्जा नेतृत्व की दिशा में एक मजबूत कदम का संकेत है।

भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 452.69 गीगावॉट तक पहुंच गई है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा, समग्र बिजली मिश्रण का एक अहम हिस्सा है। अक्टूबर 2024 तक, नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन क्षमता 203.18 गीगावॉट है, जो देश की कुल स्थापित क्षमता का 46.3 प्रतिशत से अधिक है। यह भारत के ऊर्जा परिदृश्य में एक बड़े बदलाव का प्रतीक है, जो स्वच्छ तथा गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा स्रोतों पर देश की बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है।

विभिन्न प्रकार के नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का इस प्रभावशाली आंकड़े तक पहुंचने के सफर में योगदान रहा है। 92.12 गीगावॉट के साथ सौर ऊर्जा तेज़ी से आगे बढ़ रही है, जो प्रचुर मात्रा में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करने के भारत के प्रयासों में भी अहम भूमिका निभा रही है। उसके बाद है पवन ऊर्जा, जो देशभर में तटीय और अंतर्देशीय पवन गलियारों की विशाल क्षमता से प्रेरित होते हुए 47.72 गीगावॉट के साथ मौजूद है। जलविद्युत ऊर्जा एक अन्य प्रमुख योगदानकर्ता है, जिसमें बड़ी जलविद्युत परियोजनाएं 46.93 गीगावॉट और छोटी जलविद्युत परियोजनाएं 5.07 गीगावॉट पैदा करती हैं, जो भारत की नदियों और जल प्रणालियों से ऊर्जा का एक विश्वसनीय और स्थिर स्रोत प्रदान करती हैं।

बायोमास और बायोगैस ऊर्जा सहित बायोपावर, नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण में 11.32 गीगावॉट का योगदान देती है। ये बायोएनर्जी परियोजनाएं, बिजली उत्पन्न करने के लिए कृषि अपशिष्ट और अन्य जैविक सामग्रियों का उपयोग करने तथा भारत के स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में और विविधता लाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये नवीकरणीय संसाधन साथ मिलकर देश को पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में मदद कर रहे हैं तथा अधिक टिकाऊ और मज़बूत ऊर्जा भविष्य की ओर ले जाने में मदद कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी की 2024 वार्षिक समीक्षा के मुताबिक, वर्ष 2023 में भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र ने एक अहम पड़ाव हासिल किया, जिसमें अनुमानित 1.02 मिलियन नौकरियां पैदा हुईं। वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा कार्यबल 2023 में बढ़कर 16.2 मिलियन हो गया, जो 2022 में 13.7 मिलियन था, और ज़ाहिर है कि भारत ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के सहयोग से बनाई गई रिपोर्ट, स्वच्छ ऊर्जा में भारत के बढ़ते नेतृत्व और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाली हरित नौकरियां पैदा करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

हाइड्रोपावर इस क्षेत्र में सबसे बड़े नियोक्ता के रूप में उभरा है, जिसने करीब 453,000 नौकरियां प्रदान कीं, जो वैश्विक कुल का 20 फीसदी था, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर था। इसके बाद है सौर फोटोवोल्टिक क्षेत्र, जिसमें ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड दोनों प्रणालियों में लगभग 318,600 लोगों को रोजगार मिला। वर्ष 2023 में, भारत 9.7 गीगावॉट सौर पीवी क्षमता का योगदान देकर नई स्थापनाओं और संचयी क्षमता के लिए विश्व स्तर पर पांचवें स्थान पर पहुंच गया, जो वर्ष के अंत तक 72.7 गीगावॉट तक पहुंच गई। कुल सौर कार्यबल में से, 238,000 नौकरियाँ ग्रिड से जुड़े सौर पीवी में थीं, जो वर्ष 2022 से 18 फीसदी की वृद्धि दर्शाती है, जबकि लगभग 80,000 व्यक्तियों ने ऑफ-ग्रिड सौर क्षेत्र में काम किया।

पवन क्षेत्र ने करीब 52,200 लोगों को रोजगार दिया, जिनमें से करीब 40 फीसदी नौकरियां संचालन और रखरखाव में तथा 35 फीसदी निर्माण और इंस्टालेशन में थीं। अन्य नवीकरणीय ऊर्जा उपक्षेत्रों ने भी रोजगार सृजन में योगदान दिया, जिसमें तरल जैव ईंधन ने 35 हजार नौकरियां प्रदान कीं, ठोस बायोमास ने 58 हजार नौकरियों के अवसर पैदा किए तथा बायोगैस ने 85 हजार नौकरियां पैदा कीं। इसके अतिरिक्त, सौर हीटिंग और कूलिंग क्षेत्र ने 17 हजार लोगों को रोजगार दिया, जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग के भीतर विविध और विस्तारित रोजगार के अवसरों को उजागर करता है।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता, पेरिस समझौते के तहत उसके उन्नत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान में परिलक्षित होती है, जिसमें ग्लासगो में सीओपी26 में उल्लिखित पांच तत्वों को शामिल किया गया है। ये प्रयास राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए समानता और सामान्य, लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांतों के अनुरूप हैं। अगस्त 2022 में यूएनएफसीसीसी को पेश किए गए अपडेटेड एनडीसी के हिस्से के रूप में, भारत ने साल 2030 तक अपनी उत्सर्जन तीव्रता को 45 फीसदी कम करने, 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50 फीसदी संचयी विद्युत शक्ति प्राप्त करने तथा 'लाइफ' आंदोलन के माध्यम से जीवन जीने के एक स्थायी तरीके को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जाहिर की है। यह लक्ष्य नवंबर 2022 में यूएनएफसीसीसी को प्रस्तुत किए गए 'दीर्घकालिक निम्न कार्बन विकास रणनीति' द्वारा समर्थित, वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के भारत के दीर्घकालिक लक्ष्य में भी योगदान देते हैं।

भारत में कई राज्य नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में अग्रणी बनकर उभरे हैं और देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। राजस्थान अपनी विशाल भूमि और प्रचुर मात्रा में सूर्य के प्रकाश से लाभान्वित होकर 29.98 गीगावॉट इंस्टाल्ड नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के साथ सूची में शीर्ष पर है। इसके बाद गुजरात है, जो सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं पर अपने मजबूत फोकस के कारण 29.52 गीगावॉट की क्षमता के साथ सूची में दूसरे स्थान पर मौजूद है। पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए अपने अनुकूल पवन पैटर्न का लाभ उठाते हुए, तमिलनाडु 23.70 गीगावॉट के साथ तीसरे स्थान पर है। सौर तथा पवन ऊर्जा पहलों के मिश्रण से समर्थित 22.37 गीगावॉट की क्षमता के साथ कर्नाटक भी शीर्ष चार में शामिल है।

ये सभी राज्य साथ मिलकर भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और अधिक टिकाऊ ऊर्जा भविष्य की स्थापना में अहम भूमिका निभाते हैं।

कुल मिलाकर कहें तो भारत की नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा, 200 गीगावॉट से अधिक स्थापित क्षमता की प्रभावशाली उपलब्धि के साथ एक अहम पड़ाव पर पहुंच गई है। यह उपलब्धि सौर, पवन, पनबिजली और जैव ऊर्जा सहित नवीकरणीय स्रोतों की एक विविध श्रृंखला द्वारा संचालित, एक स्थायी ऊर्जा भविष्य के लिए देश की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।

भविष्य के लिए निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ, जिसमें 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावॉट का लक्ष्य भी शामिल है, भारत पर्यावरणीय स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा में योगदान करते हुए, नवीकरणीय ऊर्जा में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए मज़बूत स्थिति में है। भारत के ये निरंतर प्रयास, एक हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और संसाधन संरक्षण की गंभीर चुनौतियों का भी समाधान करता है।



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